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अध्याय १०
पुराण पुराण शब्द प्राचीन कथाओं के लिए आता है । ऐसी कथाओं के लिए पुराण शब्द के प्रयोग से ज्ञात होता है कि ये कथाएँ बहुत प्राचीन है । पुराण शब्द की व्युत्पत्ति इस प्रकार दी गई हैयस्मात् पुरा हि अनति इदं पुराणम् ।
- वायुपुराण १-२०३ वैदिक साहित्य में पुराण शब्द इतिहास और आख्यान शब्द के साथ आता है। वैदिक काल में भी सृष्टि की उत्पत्ति, वीरों, योद्धाओं और मुनियों के जीवन-चरित्र आदि लिखे गए थे । ये ही पुराण नाम से प्रचलित हुए । अधिक ग्रन्थों में लेखक का नाम-निर्देश नहीं है। महाभारत में पुराणों का उल्लेख है । महाभारत के अन्तिम पर्व में पुराणों की संख्या भी दी हुई है । हरिवंश में भी पुराणों की संख्या का उल्लेख है । ऐसा कहा जाता है कि व्यास ने पुराणों का अध्ययन किया था और बाद में जय महाकाव्य बनाया । कुछ पुराण, जिनमें ऐसे उपाख्यान है, महाभारत का उल्लेख करते हैं । ऐसे उपाख्यान महाभारत की रचना के बाद बने होंगे। महाभारत के अतिरिक्त गौतम और आपस्तम्ब के धर्मसूत्र भी, जिनका समय ५०० ई० पू० के लगभग है, पुराणों , का उल्लेख करते हैं।
पुराणों का समय निश्चयपूर्वक कुछ नहीं कहा जा सकता है । इन पुराणों के कुछ स्थल बहुत प्राचीन हैं और कुछ बहुत नवीन है । कुछ पुराणों में राजवंशावलियाँ दी गई हैं, उनमें हर्ष और ६०० ई० के बाद के राजाओं का उल्लेख नहीं है । अतः यह कहा जा सकता है कि ५वीं शताब्दी से पूर्व ये पुराण निश्चित रूप धारण कर चुके थे।
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