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________________ महाभारत से जैसा पाठ सुना था, वह महाभारत का पाठ उपाख्यानों के सहित सुनाया कथा के वर्णन के समय सौति ने विभिन्न स्थलों पर अपने विचार और भाव अभिव्यक्त किए । सौति का यह वर्णन महाभारत की वृद्धि की तृतीय स्थिति उपस्थित करता है । सौति के इस वर्णन में हरिवंश भी सम्मिलित है । सौति के द्वारा महाभारत एक लाख श्लोकों का पूर्ण हुआ ।' आदिपर्व के प्रारम्भिक ६० अध्याय सौति ने सम्मिलित किए हैं । जिस प्रकार वर्तमान पुस्तकों में विषयसूची आदि होती है, उसी प्रकार सौति ने महाभारत के प्रारम्भ में प्राक्कथन, भूमिका और विषयसूची दी है । महाभारत का प्रथम संस्करण १०० पर्वों में विभक्त था । सौति ने इसका विशेष ध्यानपूर्वक विभाजन किया और इसको १८ बड़े पर्वों में विभक्त किया । इस संस्करण में प्रत्येक पर्व में छोटे विभाग अध्याय नाम से किए गए। यह संस्करण बहुत विशाल और भारी था, अतः इसका नाम 'महाभारत' पड़ा । महत्त्वाद् भारवत्त्वाच्च महाभारतमुच्यते । महाभारत, आदिपर्व, १ - ३०० महाभारत का वैशम्पायन वाला संस्करण, उपाख्यानों को छोड़कर, २४ सहस्र श्लोकों से युक्त था । सौति ने वैशम्पायन वाले संस्करण के अनुसार ही महाभारत का पारायण किया और उसमें उपाख्यानों को भी सम्मिलित कर दिया । उसने अपने श्लोकों को भी इसमें स्थान दिया । इस संस्करण में एक लाख श्लोक हैं' । वैशम्पायन का संस्करण, उपाख्यानों के सहित, सौति वाले संस्करण के लगभग ही रहा होगा । ७७ महाभारत के इतने विशालकाय होने के कई कारण हैं । (१) यह आवश्यक समझा गया कि इसमें विश्व के सभी विषयों का समावेश हो । यदिहास्ति तदन्यत्र यन्नेहास्ति न कुत्रचित् । महाभारत, आदिपर्व, ६२-२६ १. महाभारत, आदिपर्व, १ - १२७ । २. महाभारत, आदिपर्व, २-८४-८५ ।
SR No.032058
Book TitleSanskrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV Vardacharya
PublisherRamnarayanlal Beniprasad
Publication Year1962
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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