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महाभारत
यहाँ पर वर्णन है कि व्यास ने ८८०० कूट ( पहेली रूपी) श्लोक बनाए. हैं । पाश्चात्त्य विद्वानों ने यह मान लिया है कि इतने श्लोक व्यास ने बनाए हैं।
महाभारत के अध्ययन से ज्ञात होता है कि कम से कम दो व्यक्तियों के द्वारा इसमें परिवर्तन किए गए हैं । यह बात अन्तः साक्ष्य से सिद्ध है । महाभारत में ही इसके प्रारम्भ के विषय में कई मतों का उल्लेख मिलता है । मन्वादि भारतं केचिदास्तिकादि तथापरे । तथोपरिचरादन्ये विप्राः सम्यगधीयिरे ॥
महाभारत, आदिपर्व, १-६६ व्यास ने पांडवों और कौरवों की कथा के रूप में जो महाकाव्य बनाया,. उसका नाम 'जय' महाकाव्य रक्खा । वे इसे इतिहास कहते हैं । जयो नामेतिहासोऽयं श्रोतव्यो विजिगीषुणा ।
महाभारत, आदिपर्व, ६२-२२
उन्हें इस ग्रन्थ की रचना में तीन वर्ष लगे । उन्होंने महाभारत संभवतः आदिपर्व के ६५वें अध्याय से प्रारम्भ किया है, जिसमें क्षत्रियों की उत्पत्ति का वर्णन है अथवा ६४वें अध्याय से, जिसमें उनका ही जीवन-वृत्त है । बाद के लेखकों ने व्यास की रचना में इतना अधिक परिवर्तन कर दिया है कि वर्तमान ग्रन्थ में व्यास की कितनी और कौन-सी रचना है, यह बताना संभव नहीं है । ग्रन्थ को लिखने का काम शिव के पुत्र गणेश ने किया है | पांडवों और कौरवों की मृत्यु के पश्चात् व्यास ने यह ग्रन्थ प्रकाशित किया था । यह पुस्तक का प्रथम संस्करण था ।
अर्जुन के प्रपौत्र जनमेजय ने साँपों को नष्ट करने के लिए नागयज्ञ किया था, क्योंकि उसके पिता साँप के काटने से मरे थे । व्यास इस यज्ञ में आए
थे । जनमेजय ने व्यास से प्रार्थना की कि वे पांडवों और कौरवों के युद्ध
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१. A History of sanskrit Literature, by A. A. Macdonell. २८४ ।
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