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संस्कृत साहित्य का इतिहास रामायण की बहुत-सी टोकाएँ प्राप्त होती हैं । इनमें से अधिक नवीन टीकाएँ हैं । अधिक महत्त्वपूर्ण टीकाएँ ये हैं--महेश्वरतीयकृत रामायणतत्वदीपिका, श्रीरामकृत अमृतकटक, गोविन्दराज (१६वीं शताब्दी ई०) कृत भूषण और अहोबल (१६वीं शताब्दी ई०) कृत वाल्मीकि हृदय । अप्पयदीक्षित (१६०० ई०) ने अपने रामायणतापर्यसंग्रह में तथा त्र्यम्बक मखिन (१७००ई.) ने अपने धर्माकूत में रामायण की व्याख्या की है ।