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ऐतिहासिक महाकाव्य
स्वार्थसिद्धि के लिए यज्ञादि करते थे ।' नैतिक नियमों का पालन अयोध्या में कठोरता के साथ होता था और किष्किन्धा में कुछ शिथिलता के साथ । रामायण में मृत व्यक्ति के शव को सुरक्षित रखने का भी उल्लेख मिलता है । मृत व्यक्ति का शव तेल से परिपूर्ण हौज में रक्खा जाता था । इसमें शल्य-चिकित्सा और कतिपय अन्य चिकित्साओं का भी उल्लेख मिलता है।
रामायण ने भारतीय जनता को बहुत अधिक प्रभावित किया है । श्रेण्यकाल के कवियों पर भी रामायण का बहुत प्रभाव पड़ा है। जीवन के कर्तव्यों की शिक्षा के लिए उदाहरणस्वरूप घटनाएँ रामायण से ली गई हैं । भारतवर्ष के राष्ट्रीय जीवन के निर्माण में रामायण का बहुत बड़ा हाथ रहा है। रामराज्य शब्द पवित्र एवं आदर्श राज्य के अर्थ में प्रयुक्त होने लगा है । अनूदित ग्रन्थों के रूप में भी रामायण की कथा जनप्रिय रही है । इसकी जनप्रियता रामकथाओं में उपस्थित होने वाली बहुसंख्यक जनता के द्वारा ज्ञात होती है। ईसवीय सन् के प्रारम्भ से रामायण श्याम, जावा, सुमात्रा, बाली आदि विदेशों में भी प्रचलित हुई । इन स्थानों में उपलब्ध शिलालेखों से ज्ञात होता है कि वहाँ पर रामायण के दैनिक पारायण की भी व्यवस्था की गई थी। भारतवर्ष के संस्कृत साहित्य पर इसका स्थायी प्रभाव पड़ा है। श्रेण्यकाल के संस्कृत कवियों को इससे प्रेरणा प्राप्त हुई है और उन्होंने अपने ग्रन्थों के लिए इससे भाव लिए हैं । इसका भारतीय भाषाओं में अनुवाद भी हुआ है । हिन्दी में तुलसीदास-विरचित रामचरितमानस (१५७४ ई.) इसके आधार पर ही बना है । तामिल में कम्बन कृत (१३ वीं शताब्दी ई०) 'कम्ब रामायण' का भी आधार यही है ।
१. रामायण, युद्धकाण्ड सर्ग ८५। २. , अयोध्याकाण्ड सर्ग ६६ ।
सुन्दरकाण्ड सर्ग २८-६ । युद्धकाण्ड सर्ग १०१-४३ ।