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संस्कृत साहित्य का इतिहास
कृषिजीवियों को जो अकृषिजीवियों के द्वारा विघ्न होते थे, उनका भी निर्देश करता है। रामायण में कहीं भी इस बात का उल्लेख नहीं है कि राम और लक्ष्मण कृषिजीवी के रूप में दक्षिण भारत में गए थे। प्रो० वेबर ने यह मन्तव्य उपस्थित किया है कि रामायण रूपक के रूप में प्रार्य-संस्कृति का दक्षिण भारत में तथा विशेष रूप से लंका में प्रसार का वर्णन करता है । रामायण' में कहीं भी ऐसा वर्णन नहीं है कि राम के दक्षिण में जाने से वहाँ की संस्कृति में कोई परिवर्तन हुआ है, अतः यह मत भी प्रयुक्त है।
रामायण का रचनाकाल ___ भारतीय परम्परा के अनुसार राम त्रेतायुग में हुए थे। त्रेतायुग ईसा के जन्म से ८६७१०० वर्ष पूर्व समाप्त हुआ था। वाल्मीकि राम के समकालीन थे। राम जब अयोध्या में राज्य करते थे, उस समय वाल्मीकि ने रामायण बनाई थी। अतः रामायण का समय द्वापर युग के प्रारम्भ से पूर्व अर्थात् ईसा से ८६७१०० वर्ष पूर्व मानना उचित है । पाश्चात्त्य आलोचकों और उनके अनुयायी भारतीय विद्वानों के मतानुसार रामायण का इतना प्राचीन समय मानना उचित नहीं है।
आलोचकों का कथन है कि रामायण का मुख्य भाग ५०० ई० पू० से निश्चित रूप में प्राप्त होता है । इस विषय में निम्नलिखित युक्तियाँ दी गई हैं :-(१) महाभारत ईसवीय शताब्दी के प्रारम्भ से कुछ पूर्व निश्चित रूप में आया था। इसमें रामायण और इसके लेखक का उल्लेख है । (२) रामायण में अयोध्या से पूर्ववर्ती कौशाम्बी, कान्यकुब्ज और काम्पिल्य आदि नगरों का उल्लेख है, परन्तु पटना का उल्लेख नहीं है । इसकी स्थापना कालाशोक ने की थी, जो कि ३८० ई० पू० में हुई द्वितीय बौद्ध महासमिति का सभापति था। (३) रामायण में मिथिला और विशाला दोनों स्वतन्त्र राज्य के रूप में निर्दिष्ट हैं । बुद्ध के समय में ये दोनों राज्य वैशाली नाम
१. Weber, History of Indian Literature. पृष्ठ १९२ ।