SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 76
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ऐतिहासिक महाकाव्य होता है कि भारतवर्ष का अतीत केवल गौरवयुक्त ही नहीं था, अपितु इसका इतिहास असंख्य शताब्दी पुराना है। रामायण में जिन राक्षसों का उल्लेख है, संभवतः उनके शरीर में कुछ असाधारण वृद्धि थी या माया के द्वारा उन्होंने भयंकर शरीर बना लिया था । यह उचित नहीं है कि उनके स्वरूप की असाधारणता के आधार पर उनको सर्वथा काल्पनिक मान लिया जाय । रामायण की कथा को दो भागों में पृथक् नहीं किया जा सकता है अर्थात् दशरथ के राजगह अयोध्या में घटित घटनाएँ और उनके परिणाम । अयोध्या में घटित घटनाएँ स्वाभाविक हैं । जहाँ पर बहुविवाह-प्रथाएँ हैं, वहाँ पर इस प्रकार की घटनाएं होनी स्वाभाविक है। यदि हम पूर्व भाग को वास्तविक मानते हैं तो उत्तरार्ध भी वास्तविक सिद्ध होता है । रामायण महाकाव्य है, अतः उसके वर्णन प्रायः काव्यात्मक हैं। अतः रामायण को वास्तविक घटनाओं पर आधारित महाकाव्य मानना उचित है। रामायण के विषय में कुछ मन्तव्य और हैं, जिनका उल्लेख यहाँ किया जा सकता है । टाल्व्वायज ह्वीलर का कथन है कि दक्षिण में ब्राह्मणों और बौद्धों में जो संघर्ष हुआ है, उसी का पद्यात्मक रूप रामायण है। इस मत की अयुक्तिसंगति इस बात से सिद्ध होती है कि बौद्ध धर्म का प्रचार रामायण के बहुत बाद हुअा है । ह्वीलर का ही कथन है कि १३ वीं शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य के संस्थापकों द्वारा दक्षिण भारत के विजय पर रामायण आधारित है । यह मन्तव्य सर्वथा अनर्गल प्रलाप है, क्योंकि रामायण का समय इससे बहत प्राचीन है। लैसेन का कथन है कि रामायण आर्यो के द्वारा दक्षिण भारत के विजय के प्रथम प्रयत्न का पद्यात्मक रूप है। यह मन्तव्य रामायण के अपूर्ण अध्ययन का परिणाम है, क्योंकि रामायण में कहीं भी राम के द्वारा दक्षिण में राज्य स्थापित करने का उल्लेख नहीं है। एक मन्तव्य और है कि रामायण आर्यों के कृषिकर्म का मध्य भारत तथा दक्षिण भारत के वनों और पर्वतों में प्रचार का उल्लेख करता है तथा सं० सा० इ०-५
SR No.032058
Book TitleSanskrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV Vardacharya
PublisherRamnarayanlal Beniprasad
Publication Year1962
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy