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________________ ५.४ संस्कृत साहित्य का इतिहास पूरे वैदिक साहित्य में प्राप्त होता है, इन महाकाव्यों में हीन रूप में प्राप्त होता है | आशावाद के भाव को दबा कर चिन्ता और विषाद के भाव वृद्धि पर हैं । इन महाकाव्यों में ऋषियों की जीवनियों तथा सफलताओं का भी वर्णन है । रामायण और महाभारत ये दोनों राष्ट्रीय ऐतिहासिक महाकाव्य हैं । इनमें बहुत-सी कहानियाँ हैं, इससे यह सिद्ध होता है कि इससे पूर्व आख्यान पुराण और इतिहास थे । इन दोनों महाकाव्यों की अत्युत्कृष्टता ने इस प्रकार के संपूर्ण प्राचीन साहित्य को सर्वथा समाप्त कर दिया । रामायण रामायण भारतवर्ष का ऐतिहासिक महाकाव्य है । इसमें २४ सहस्र श्लोक हैं । यह सात कांडों में विभक्त है । इसके रचयिता वाल्मीकि ऋषि हैं । इसमें राम और सीता का जीवनचरित वर्णित है । वाल्मीकि ने इसको काव्य' आख्यान,' गीता और संहिता' नाम से सम्बोधित किया है । वाल्मीकि को सप्तर्षियों ने धार्मिक जीवन की दीक्षा दी थी । उन्होंने बहुत समय तक निरन्तर समाधि लगाई । जब वे अपनी समाधि से उठे तो उनके चारों ओर दीमकों ने बमी बना ली थी और वे उससे बाहर निकले । अतएव उनका नाम वाल्मीकि पड़ा, क्योंकि ये वाल्मीकि ( बमो ) से बाहर निकले थे । वे अयोध्या के समीप ही गंगा नदी के किनारे रहते थे । राम अपने वनवास के समय सर्वप्रथम उनके ही आश्रम पर पहुँचे थे ।" उन्हें राम के जीवन की विशेष घटनाओं का ज्ञान था । वे उनके उदात्त गुणों से बहुत १. रामायण, बालकाण्ड, २-४१, युद्धकाण्ड १२८ - १०५ । २. रामायण, बालकाण्ड, ४-३२, युद्धकाण्ड १२८ ११८ । ३. रामायण, बालकाण्ड, ४-२७ । ४. ५. रामायण, युद्धकाण्ड, १२८ - १२० । रामायण, अयोध्याकाण्ड, सर्ग ५६ ।
SR No.032058
Book TitleSanskrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV Vardacharya
PublisherRamnarayanlal Beniprasad
Publication Year1962
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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