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________________ ४८ संस्कृत साहित्य का इतिहास अन्त्येष्टि संस्कार आदि । दूसरे शब्दों में यह कह सकते हैं कि इन सूत्रों में गृहस्थ-जीवन से संबद्ध सभी संस्कारों का वर्णन है, जो कि एक गृहस्थ को करने चाहिएँ । धर्मसूत्रों में नीति, धर्म, रीति और प्रथाएँ, चारों वर्णों और आश्रमों के कर्तव्यों आदि का वर्णन है । शल्वस्त्रों में यज्ञवेदी के निर्माण से संबद्ध नाप आदि का तथा वेदी के बनाने आदि के नियमों का वर्णन है। ये श्रौतसूत्रों से सम्बद्ध विषय का वर्णन करते हैं। ये भारतीय ज्यामिति का प्रारम्भिक रूप प्रदर्शित करते हैं । श्रौत और गृह्य सूत्रों में यज्ञों की विधि के नियम हैं । इनमें यज्ञों के समय प्रयुक्त होने वाले मन्त्रों का विनियोग भी वर्णित है । प्रत्येक कल्पसूत्र का किसी एक वेद से सम्बन्ध है । कल्पसूत्रों के सहायक ग्रंथ के रूप में मन्त्रब्राह्मण और मन्त्रपाठ नामक दो ग्रंथ हैं। इनमें मन्त्रों का संग्रह है । ये दोनों क्रमशः गोभिलगृह्यसूत्र और आपस्तम्बगृह्यसूत्र के अनुयायियों के द्वारा विशेष उद्देश्य के लिए उपयोग में लाए जाते हैं। ___ बौधायन और आपस्तम्ब ५०० ई० पू० से पूर्व हुए थे। दोनों अपनी परम्परा के अनुसार कल्पसूत्रों अर्थात् श्रौत, गृह्य, धर्म और शुल्व सूत्रों के रचयिता हैं। ये सूत्र कृष्ण यजुर्वेद की तैत्तिरीय शाखा से सम्बद्ध हैं । सत्याषाढ हिरण्यकेशी के गृह्य और श्रोत सूत्रों का संबन्ध तैत्तिरीय शाखा की एक शाखा से है । हिरण्यकेशी के धर्मसूत्र प्रापस्तम्ब के धर्मसूत्रों से बहुत अधिक मिलते हैं। उनमें अन्तर नहीं के बराबर है । अग्निवेशगृह्यसूत्र और वादूल तथा वैखानसों के कल्पसूत्रों का सम्बन्ध तैत्तिरीय शाखा से है । कृष्ण यजुर्वेद की मैत्रायणी शाखा के मानवश्रौतसूत्र, मानवगृह्यसूत्र और मानवशुल्वसूत्र हैं । काठकगृह्यसूत्रों का भी सम्बन्ध मानव शाखा से ही है । भरद्वाज के कल्पसूत्रों का भी सम्बन्ध कृष्ण यजुर्वेद से ही है। अन्य वेदों के श्रौत, गृह्य, धर्म और शुल्व सूत्र बहुत कम है। ऋग्वेद के साथ संबद्ध प्राश्वलायन और शांख्यायन के श्रौत और गृह्यसूत्र हैं तथा शाम्भब्य और शौनक के गृह्यसूत्र हैं । शुक्ल यजुर्वेद की माध्यन्दिन शाखा के साथ संबद्ध
SR No.032058
Book TitleSanskrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV Vardacharya
PublisherRamnarayanlal Beniprasad
Publication Year1962
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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