________________
वैदिक संहिताएँ, ब्राह्मण-ग्रन्थ और आरण्यक - ग्रन्थ
अध्यायों की व्याख्या है । इसके रचयिता याज्ञवल्क्य ऋषि हैं । इसका अन्तिम भाग बृहदारण्यक उपनिषद् है । इसमें मत्स्य, शकुन्तला, पुरूरवा और उर्वशी आदि की कथाएँ हैं । इसकी काण्व शाखा में १८ काण्ड हैं । तैत्तिरीय ब्राह्मण कृष्ण यजुर्वेद की तैत्तिरीय शाखा का ब्राह्मण है और यह तैत्तिरीयसंहिता का ही आगे चालू रूप है । इस वेद की अन्य शाखाओं का कोई ब्राह्मण ग्रन्थ नहीं है । सामवेद की ताण्ड्य और तलवकार शाखा के ब्राह्मण ग्रन्थ प्राप्य हैं । कौथुम शाखा का कोई ब्राह्मण ग्रन्थ नहीं है । ताण्ड्य शाखा के दो ब्राह्मण ग्रन्थ हैं--पंचविंश ब्राह्मण और षवंश ब्राह्मण । पंचविंश ब्राह्मणको ताण्ड्य ब्राह्मण और प्रौढब्राह्मण भी कहते हैं । पंचविंश ब्राह्मण में २५ अध्याय हैं, अतः उसका यह नाम पड़ा है । षड्विंश ब्राह्मण में पंचविंश ब्राह्मण से एक अध्याय अधिक है, अतः उसका यह नाम पड़ा है । षड्विंश ब्राह्मण के अन्तिम ६ अध्यायों को अद्भुत ब्राह्मण कहा जाता है । इसमें असाधारण अवसरों पर विघ्न रूप में उपस्थित होने वाले दुष्परिणामों को दूर करने के लिए विधियाँ दी गई हैं। तलवकार शाखा का तलवकार ब्राह्मण है । इसमें ५ अध्याय हैं । इनके चतुर्थ अध्याय को उपनिषद् ब्राह्मण कहते हैं । इसमें सामवेद की परम्परा के गुरुत्रों की दो सूचियाँ हैं । इसमें केनोपनिषद् भी है । अन्तिम अध्याय को श्रार्षेय ब्राह्मण कहते हैं । इसमें सामवेद के विशेष प्रकार के मन्त्रों के रचयिताओं की सूची दी हुई है । सामवेद की ताण्ड्य शाखा का एक ब्राह्मण छान्दोग्य ब्राह्मण है, परन्तु इसमें ब्राह्मण ग्रन्थों के तुल्य बातें बहुत कम हैं । प्रारम्भिक अंश को छोड़कर यह छान्दोग्य उपनिषद् ही है । इसके अतिरिक्त सामवेद के तीन और ब्राह्मण हैं । ये तीनों केवल नाममात्र से ब्राह्मण हैं, इनमें ब्राह्मण ग्रन्थों की बात कोई नहीं है । इनमें और ही बातें हैं । इन ग्रन्थों के नाम हैं-- १. वंश ब्राह्मण, इसमें मामवेद के गुरुत्रों की सूची दी हुई है, २. सामविधान ब्राह्मण, इसमें गान की विधि है, ३. देवताध्याय ब्राह्मण, इसमें सामवेद के देवताओं का वर्णन है ।
थर्ववेद का गोपथ ब्राह्मण है । यह दो भागों में है । इन ब्राह्मण ग्रन्थों में तैत्तिरीय ब्राह्मण ही केवल तैत्तिरीय संहिता का संलग्न भाग है । अन्य ब्राह्मण
३७