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संस्कृत साहित्य का इतिहास
है कि किस प्रकार उसने अलाउद्दीन से एक मुसलमान को आश्रय देकर बचाया और परिणामस्वरूप अलाउद्दीन ने उसकी राजधानी को घेर लिया और उसे मार डाला ।
• वासुदेव के पिता का नाम महर्षि और माता का नाम गोपालिका था । वे मालाबार के वेदारण्य स्थान के निवासी थे । उसने २१ काव्य-ग्रन्थ लिखे हैं । उनमें से कुछ यमक अलंकार से परिपूर्ण हैं । इनमें से युधिष्ठिरविजय और नोद दो अधिक प्रसिद्ध काव्य हैं । प्रथम में युधिष्ठिर के पराक्रमों का वर्णन आठ आश्वासों में है । दूसरे में नल की राज्य प्राप्ति के बाद नल के जीवन का चार आश्वासों में वर्णन किया गया है । प्रथम में उल्लेख है कि इस काव्य की रचना के समय राजा कुलशेखर राज्य करते थे और दूसरे में राजा राम का उल्लेख है । इन दोनों उल्लेखों के आधार पर कोई समय का निर्णय नहीं किया जा सकता है । मालाबार में कई राजा हुए हैं, जिसकी उपाधि कुलशेखर है । विद्वानों ने इस लेखक का समय आदि निश्चित नहीं किया है । मालाबार में कई कवियों का नाम वासुदेव है । कुछ आलोचकों का मत है कि युधिष्ठिरविजय काव्य का रचयिता और नलोदय काव्य के रचयिता दो भिन्न वासुदेव हैं । कुछ विद्वानों ने युधिष्ठिर विजय के कुशलशेखर के आधार पर लेखक का समय ८०० ई० के लगभग माना है । उनका मत है कि इस समय केरल में कुलशेखर नाम का एक राजा राज्य करता था । कुछ विद्वानों ने इसका समय १६वीं शताब्दी माना है । उनके मतानुसार यह वासुदेव ही नारायणीय का लेखक तथा नारायण भट्ट का पुत्र है । नलोदय का समय १५६६ ई० से पूर्व होना चाहिये, क्योंकि इसकी सबसे प्राचीन हस्तलिपि का समय यह है । उद्दण्डकवि (१४०० ई०) ने वासुदेव के पिता का नाम महर्षि लिखा है । ' वाचस्पति मिश्र ( ८५० ई०) को न्यायकणिका की टीका कवि वासुदेव के भतीजे परमेश्वर ने की है । अतः लेखक का समय ६०० ई० से १४०० ई०
१. दशम ओरियन्टल कान्फ्रेन्स के विवरण में यमक कवि वासुदेव के विषय में बेंकटराम शर्मा का लेख ।