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प्रथम ढाल
शंका-व्यन्तर जातिके देवोंमें उत्पन्न होनेके विशेष कारण कौन-कौनसे हैं। ___समाधान-जो मिथ्यादृष्टि होते हुए भी मंद कषायसे युक्त होकर गाने बजानेमें लगे रहते हैं, लोगोंके मनोरंजनके लिए बहुरूपियों का वेश धारण करते हैं, वन्दीजन, चारण और नट-भांडोंका पेशा करते हैं उनके यदि भाग्यवश देवायुका बंध हो जाय, तो वे व्यन्तर जातिके देवोंमें उत्पन्न होते हैं । घर की यातनाओंसे ऊबकर कूप नदीमें गिरकर या अग्निमें प्रवेश कर, फांसी लगाकर मरने वाले भी प्रायः व्यन्तर देवोंमें उत्पन्न होते हैं। ___ शंका-ज्योतिष्क देवोंमें उत्पन्न होनेके विशेष कारण कौन कौनसे हैं ?
समाधान-पंचाग्नि का तपना, पहाड़ की चोटियों पर ध्यान लगाना, शरीरमें भस्म लगाकर साधु-महंतपने को प्रगट करना, जटाजूट धारण कर मल परीषह को सहन करना, लोगों में मान-प्रतिष्ठाके लिए नाना प्रकारके आसन लगाकर ध्यान करनेका स्वांग रचना, घी, दूध, दही आदि का त्याग केवल पूजा-सत्कार पानेके लिए करना, इत्यादि कारण-विशेषोंसे मिथ्यादृष्टि जीव ज्योतिष्क देवोंमें उत्पन्न होता है। ___ इस प्रकार उक्त कारण-विशेषोंसे भवनत्रिकमें उत्पन्न होने वाले सर्व देवोंके यद्यपि पंचेन्द्रियोंके समस्त भोग-उपभोगकी सामग्री उपलब्ध रहती हैं, तथापि मिथ्यात्व कर्मके तीब्रोदयसे