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सरस्वती-नदी के कतिपय पौराणिक विशेषण
नदियों को सामान्य रूप से 'शिवा', 'पुण्या', 'शिवजला', इत्यादि उपाधियों से विभूषित किया गया है । ये उपाधियाँ सामान्य रूप से उनके परोपकार एवं दया
“(i) Attributes, relating to Specceh : वाग्देवी, वाग्देवता, वाग्वादिनी, वर्णाधिदेवी, सर्ववर्णात्मिका, सर्वकण्ठवासिनी, जिह्वाग्रवासिनी, कविजिह्वाग्रवासिनी, गद्य-पद्यवासिनी, (BVP., II.4.5) शब्दवासिनी, (MP., 66.11 b, V. 1.); वागीशा (BrP., 101.1 1); महावाणी (Pradh R.), etc.
(ii) Atiributes relating to mental faculties and functions : स्मृतिशक्ति, ज्ञानशक्ति, वुद्धिशक्तिस्वरूपिणी, कल्पनाशक्ति, प्रतिभा, विचारकारिणी-(Bv.P., II.4.5); धृति, मेधा, भक्ति, तुष्टि, गति, प्रीति, लज्जा, स्मृति, दक्षा, क्षमा-(SkP.,VI. 46.25-27), etc.
(ii) Attributes relating to knowledge and learning : विद्या, महाविद्या, यी, वेदगर्भा-(Pradh R); त्रयीविद्या (PdP., V. 27-118); वेदारणि (Samr., 32.16); श्रुति, कला-(SA P.,VI.46); विद्याधिदेवता, सर्व विद्याधिदेवी, विद्यास्वरूपा, सर्वविद्यास्वरूपा, ज्ञानाधिदेवी, बुधजननी, सर्वशास्त्रवासिनी, सर्वशास्त्राधिदेवता, पुस्तकवासिनी, ग्रंथबीजरूपा, ग्रंथकारिणी, व्याख्यास्वरूपा, व्याख्याधिप्टातृदेवता, भ्रमसिद्धान्तरूपा, विषयज्ञानरूया, सर्वसङ्गीतसंधानतालकारणरूपिणी, वीणापुस्तकधारिणी(BVP., 11.1-7) etc.
(iv) Attributes rclating to her cosm c aspects : शतरूपा (MP); विश्वरूपा (VP); सर्वलोकानां माता (Vam P., 32.6); जगद्धात्री (MarP., 23.30); जगन्माता, जगदम्बिका, सदम्बिका, शक्तिरूपिणी (BVP., II.4.5); सर्वभूतनिवासिनी, क्षिति, कृषि, वृष्टि-(SkP., VI. 46); संध्या, रात्रि, प्रभा, भूति-(PdP., V.28.1); सिनीवाली, कुहू, राका-(SkP., V. 46.27); प्रकृति, गौ----(VP., 1.23,50); etc.
(v) Attributes relating to her divine aspects : act, सुरेश्वरी, ब्रह्मस्वरूपा, ज्योतिरूपा, सनातनी, अच्युता (BVP., II.1.7); महेश्वरी (VP); ब्रह्मयोनि (MarP., 23.30); ब्रह्मवासिनी (MP., 6611b); देवमाता (SkP., VI., 45. 72; VII. 34. 36; 35. 103); लक्ष्मी, गौरी, शिवा, ब्रह्माणी, दाक्षायणी, देवेशी, स्वधा, स्वाहा, गङ्गा, अदिति, सावित्री, गायत्री, विनता, कद्रू, रोहिणी, सिनीवाली, कुहू, राका(SkP., VI. 46); etc.
(vi) Other attributes : कीर्ति, निद्रा, क्षुधा, पुष्टि, वपुः, प्रीति, सत्य, धर्म, बला, नाडी-(SkP., VI. 46); आर्यां, कामधेनु-(Pradh
R); etc."