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________________ -७सरस्वती-नदी के कतिपय पौराणिक विशेषण प्रारम्भ से ही सरस्वती के नदी एवं देवी-दो रूप पाये जाते हैं । कहने की आवश्यकता नहीं है कि सम्पूर्ण साहित्य में उसके विशेषणों का बाहुल्य देवी-रूप में है, न कि नदी-रूप में । अस्तु, ये उपाधियाँ सारगर्भित एवं साभिप्राय हैं । प्रकृत में सरस्वती के केवल नदीभूत विशेषणों का संक्षिप्त परिचय देने का प्रयत्न किया गया है। १. उदाहरण के रूप में हम यहाँ ऋग्वेद, यजुर्वेद, ब्राह्मण, एवं पुराणों को ले रहे हैं । ऋग्वैदिक उसकी कुछ उपाधियाँ हैं : वाजिनीवती (१.३.१०; २.४१. १४; ६.६१.३,४; ७.६६.३): पावका (१.३.१०); घृताची (५.४३.११); पारावतघ्नी (६.६१.२); चित्रायुः (६.४६.७); हिरण्यवर्तनि: (६.६१.७); असुर्या (७.६६.१); धरुणमायसी पू: (७.६५.१); अकवारी (७.६६.७); अम्बितमा (२.४१.१६); सिन्धुमाता (७.३६.६); माता (१०.६५.६); सप्तस्वसा (६.६१.१०); सप्तधातुः (६.६१.१२); सप्तथी (७.३६.६); त्रिषधस्था (६.६१.१२); स्वसृरन्या ऋतावरी (२.४१.१८, ६.६१.६); वीरपत्नी (६.४६.७); वृष्णः पत्नी (५.४२.१२); मरुत्वती (२.३०.८); पावीरवी (६.४६.७; १०.६५.१३); मरुत्सखा (७.६६.२); सख्या (६.६१. १४), इत्यादि; कतिपय ऋग्वैदिक विशेषणों के विशेष ज्ञान के लिए तु० मुहम्मद इसराइल खाँ, 'सरस्वती के कतिपय ऋग्वैदिक विशेषणों की विवेचना' नागरी प्रचारिणी पत्रिका-श्रद्धाञ्जलि अङ्क, वर्ष ७२ (वाराणसी, सं० २०२४), पृ० ४६९-४७६; इसी प्रकार यजुर्वेद में सरस्वती को यशोभगिनी (२.२०); हविष्मती (२०.७४); सुदुघा (२०.७५); जागृवि (२१. ३६) इत्यादि; एवं ब्राह्मणों में प्रमुख रूप से वैशम्भल्या (तैत्तिरीयब्राह्मण, २.५.८.६); सत्यवाक् (वही, २.५.४.६); सुमृडीका (तैत्तिरीय-आरण्यक, १.१.३, २१.३, ३१.६; ४.४२.१) इत्यादि उपाधियों से विभूषित किया गया है, पौराणिक युग में उसका व्यक्तित्व पूर्णरूप में निखर चुका है । वह एक मुखी न होकर बहुमुखी हो गया है, अत एव उसके भिन्न-भिन्न व्यक्तित्व से सम्बद्ध विभिन्न उपाधियाँ उसी क्रम से पायी जाती हैं । तु० आनन्दस्वरूप गुप्त, कन्शेप्ट आफ सरस्वती इन दि पुराणाज हाफ-इयरली बुलेटिन ऑफ दि पुराण डिपार्टमेण्ट, भाग ४, नं० १, आल-इण्डिया काशिराज ट्रस्ट, रामनगर, वाराणसी, १९६२), पृ० ६६
SR No.032028
Book TitleSanskrit Sahitya Me Sarasvati Ki Katipay Zankiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuhammad Israil Khan
PublisherCrisent Publishing House
Publication Year1985
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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