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________________ ८२ संस्कृत-साहित्य में सरस्वती की कतिपय झांकियां कविता इत्यादि की देवी अथवा रक्षिका के रूप में कार्य करती है । ग्रीक म्युजेज के समान सरस्वती विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करती है। ब्राह्मी अथवा ब्रह्माणी के रूप में सरस्वती सम्पूर्ण साइन्सेस की देवी समझी जाती है तथा भारती के रूप में वह इतिहास की देवी है ।३६ पौराणिक काल में सरस्वती के एक हाथ में वीणा प्रस्तुत की गई है । यह वीणा उसे सङ्गीत से सम्बद्ध करती है। वह केवल वीणा से सम्बद्ध ही नहीं है, अपितु सङ्गीतकारों की अभीष्ट देवी भी मानी जाती है । सामूहिक-रूप से सभी ग्रीक म्युजेज सङ्गीत तथा नृत्य से प्रेम रखती हैं। कहा जाता है कि उन्होंने एकत्रित देवों का मनोरञ्जन किया और गाने वालों या नाचने वालों की मण्डली के नेता के रूप में अपोलो ने उनका नेतृत्व किया। उनका सङ्गीत तथा नृत्य के प्रति प्रगाढ प्रेम है । यह प्रेम इतना अधिक है कि उन्होंने अपने इस प्रेम का प्रदर्शन अगनिप्पी नदी के चारो ओर डेल्फ़ी (Delphi) में हेलिकन पर्वत (Mt. Helicon) पर किया ।“ ये म्युज़ ज एक पार्थिव नदी से अत्यधिक रूप से सम्बद्ध हैं । उस नदी का नाम हिप्पोक्रीन (Hippocrine) है। पौराणिक कथा के माध्यम से यह ज्ञात होता है कि वह नदी एक दैवी अश्व के खुर-प्रहार से प्रवाहित हुई है तथा इस दैवी अश्व का नाम पैगासस् (Pegasus) है । इस प्रकार यह नदी उस देवी अश्व से सम्बद्ध है, अत एव उसकी दिव्यता में संदेह नहीं किया जा सकता। इन ग्रीक म्युजेज का निवास ओलिम्पस पर्वत (Mt. Olympus) के निकटस्थ स्थान में है । इस प्रकार यह माना जाना चाहिए कि ये म्युजेज उस पर्वत के देवों से सम्बद्ध हैं। इन म्युजेज का एक पर्वत तथा नदी का सम्बन्ध उन्हें स्वतः सरस्वती के समकक्ष लाता है, जो सरस्वती एक नदी के रूप में एक पर्वत से समुत्पन्न हुई है," जिसका चरित्र दैवी है । पिप्पोक्रीन नदी पेगासस् के खुर से निकली है । पेगासस् ३६. चार्ल्स कालेमन, पूर्वोद्धृत ग्रन्थ, पृ० ६ ३७. तु० "वीणापुस्तकधारिणी' उपाधि जो सरस्वती के लिए प्रयुक्त है : ब्रह्मवैवर्त पुराण, २.१.३५, २.५५; अग्निपुराण, ४.१६; डॉ० प्रियबाला शाह, विष्णु धर्मोत्तरपुराण, तीसरा भाग (बड़ौदा, १९६१), पृ० २२५ ३८. जेम्स हेस्टिङ्गस, पूर्वोद्धृत ग्रंथ, पृ० ४ ३६. तु० श्रीअरविन्दो, पूर्वोद्धृत ग्रंथ, पृ० १०५; पेगासस् के विस्तृत ज्ञान के लिए द्र० जेम्स हेस्टिङ्गस, पूर्वोद्धृत ग्रंथ, भाग १२, पृ० ७४१-७४२ ४०. द्र० ओलिम्पस के देवता----आर० पी० वैरन्, दि गाड्स प्रॉफ माउण्ट प्रोलिम्पस (न्यूयार्क, १६५६), पृ० १-५२ ४१. ऋ० ७.६५.२ ४२. तु० बही, ७.६५.२; मैक्स मूलर, सेकड बुक्स ऑफ दि इस्ट, भाग ३२ (दिल्ली), पृ० ५७-५८
SR No.032028
Book TitleSanskrit Sahitya Me Sarasvati Ki Katipay Zankiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuhammad Israil Khan
PublisherCrisent Publishing House
Publication Year1985
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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