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माँ सरस्वती
२. स्थापना मंत्र (स्थापना मुद्रा मे )
ॐ अर्हन्मुखकमलवासिनि ! वाग्वादिनि ! सरस्वति ! अत्र तिष्ठ ठः ठः
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श्री सम्यग्ज्ञानोपासना विभाग
३. संनिधान मंत्र (संनिधान मुद्रा में, दोनो हाथों की मुठ्ठी सामने रखकर अंगुठे अंदर रखे) ॐ सत्यवादिनि ! हंसवाहिनि ! सरस्वति ! मम संनिहिता भव भव वषट् ।
४. सन्निरोध मंत्र (संनिरोध मुद्रामें अंगुठे बाहर निकाले)
ॐ ह्रीँ श्रीँ जिनशासन श्री द्वादशाङ्ग्यधिष्ठात्रि ! श्री सरस्वति देवि ! जापं पूजां यावदत्रैव स्थातव्यम् नमः ।
५. अवगुंठन मंत्र (अवगुंठन मुद्रा में, दोनो मुट्ठी सामने रखकर दोनों तर्जनी ऊँगली लम्बी करें 1)
ॐ सर्वजणमणहरि ! भगवति ! सरस्वति ! परेषामदीक्षितानां अदृष्यो भवभव ।। इस तरीके से क्रिया पूर्ण किये बाद सरस्वती देवीके स्तवन- भक्तीगीत गायें। फिर मंत्र प्रदान विधी करें ।
सरस्वती मंत्र प्रदान विधि
माँ सरस्वती श्रुतदेवी की छबी के सामने स्तुति करें । इरियावहि से लोगस्स तक बोलकर खमासमणा देकर इच्छाकारेण संदिसह भगवन् श्रुतदेवता आराधनार्थे काऊस्सग करूं ? इच्छं, श्रुतदेवता आराधनार्थं करेमि काऊस्सगं कहकर अन्नत्थ कहकर एक नवकारका काऊस्सग, पारके निम्न थोय बोलें ।
सुदेवया भगवई नाणावरणीय कम्मसंघायं । तेसिं खवेउ सययं जेसिं सुयसायरे भत्ती
फिर खमासमण देवे ।
• फिर प्राणायम की विधी निम्न लिखेनुसार करें ।..
१) स्वस्थ बनके, दाहिनी नासिका दबाके (बंद करके) बायी नासिका से धीरे धीरे श्वास निकाले । श्वास निकालते समय 'रागात्मकं रक्तवायुं विसर्जयामि' ऐसा बोले ।