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माँ सरस्वती
श्री सरस्वती साधना विभाग २) फिर बायी नासिका दबावें (बंद करे)...धीरे धीरे श्वास निकालें और
श्वास निकालते हुए 'द्वेषात्मकं कृष्णवायुं विसर्जयामि'...। ऐसे बोले । ३) फिर, शांत बनके, समता रखके दाहिनी नासिका दबाके, बायी नासिका
से श्वास लेवे और लेते वक्त 'सत्वात्मकं शुक्लवायुं आगृह्णामि आधारयामि' ऐसे बोलें । फिर दीर्घ श्वास लेके क्षणभर स्तब्ध रहकर निम्न मंत्र (इष्टजप मंत्र) धारण करें। ॐ ह्रीं क्लीं ब्लूँ श्री हसकल ह्रीं ऐं नमः ।
फिर तीन बार उच्चार करके, प्रगट बोलिये । हररोज (कम से कम) एक माला गिनें । जप पूर्ण होने के बाद प्रार्थना आरति एवं विसर्जन विधि करे ।
महाप्रभावी श्री अल्पश्रुतं यंत्र (भक्तामर स्तोत्र-६ठा श्लोक
तुटे बंधन...
करोवंदन...
परिहासधाम
न है। भरे मावदा।।
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तच्चारूचूतकलिकानिकरैकहेतुः ।
बदभक्तिरेय मुखरीकुरुते बलान्माम् ।।
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ऋद्धि-ॐ ह्रीं अहं णमो कुट्टबुद्धीणं । मंत्र : ॐ ह्रीं श्रीँ श्रीँ श्रृं अः हैं सँ यः यः ठः ठः सरस्वति भगवती विद्याप्रसादं कुरु कुरु स्वाहा । प्रभाव - अनेक विद्याएँ सहज ही आ जाती है वाणी के दोष दूर होते हैं।
___Mastering of Arts & Speech.