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माँ सरस्वती
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पंचाक्षर मंत्र स्थापना
हाँ
ह्रीँ
हूँ
अंगुठा
तर्जनी
मध्यमा
अरिहंत सिद्ध आचार्य
श्री सरस्वती साधना विभाग
अनामिका
उपाध्याय
हः
कनिष्ठ
साधु
इस प्रकार पंच परमेष्ठि का चिंतन किजीये और तीन बार उस उस उंगली पर हाँ ह्रीँ.... बोलते हुए मंत्र स्थापना करें ।
पंचांग स्नान मंत्र
हथेली मे समस्त तीर्थोंका पवित्र जल है, ऐसा संकल्प करके मस्तिष्क से लेकर चरण के तल तक निम्न मंत्र बोलकर भावस्नान करें ।
ॐ अमले विमले सर्वतीर्थजले पाँ वाँ इवीं क्ष्वीं अशुचिः शुचिर्भवामि स्वाहा ॥ वस्त्र शुद्धि मंत्र
वस्त्रोंपर हाथ फिराते निम्न मंत्र बोलें ।
ॐ ह्रीँ इवीँ क्ष्वीं पाँ वाँ वस्त्र शुद्धिं कुरु कुरु स्वाहा ॥
हृदयशुद्धी मंत्र
ॐ विमलाय विमलचित्ताय इवीं क्ष्वीं स्वाहा ॥
| कल्मष दहन मंत्र
भुजाओं को स्पर्श करते हुए निम्न मंत्र बोलें ।
ॐ विद्युत्स्फुलिंगे महाविद्ये मम सर्व कल्मषं दह दह स्वाहा ।।
रक्षा मंत्र
निम्न मंत्रोच्चार करते हुए उन उन स्थानों पर दाहिने हाथ से स्पर्श करें उतरते-चढते तीन बार करें, अंत में ॐ आता है ।