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माँ सरस्वती
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श्री सरस्वती साधना विभाग
सरस्वती-साधनाशुद्धि मंत्र जप शुरु करनेसे पहले अति आवश्यक सामान्य विधी याने साधना शुद्धि। १) किसी भी प्रकारके देव-देवीयों के मंत्र जप की शुरुआत करने से पहले
गुरु म.सा. की आज्ञा या अनुभवी बुजुर्गों की संमती लेवे । २) कोई भी मंत्र की शुरुआत दिनशुद्धी, चंद्रबल आदि देखके श्रेष्ठ समय
पर शुरु करें। ३) मंत्र साधना हेतू तीर्थभूमी, वनप्रदेश, पर्वत, शिखर, नदीतट अथवा
मंदिर-उपाश्रय या घर के एकांत स्थानपर जहाँ शांति, स्वच्छता तथा . स्वस्थता हो, वहां जप करें। ४) प्रभु या इष्ट देव-देवीयों के प्रतिमा की पूर्व दिशा मे विधीपूर्वक स्थापना
करके जप करें। ५) जप दरम्यान संपूर्ण मौन रखें और शांत चित्त बनायें । ६) जप करने से पहले जगह शुद्ध करें, शुद्ध (कोरा) वस्त्र पहनें । ७) धूप-दीप तथा सुगंधित वातावरण के बीच जप चालू करें । ८) किसी भी मंत्र की शुरुआत करने से पहले कम से कम एक बांधी (१०८)
नवकार महामंत्र की माला गिनें । ९) माँ सरस्वती देवी की साधना करने से पहले पवित्र स्थान पर भगवान
महावीरस्वामी, गौतमस्वामी और माँ सरस्वती देवी की मूर्ती या आकर्षक फोटो सुंदर लगें, इस प्रकार रखें । उनकी स्थापना ऐसी करें कि जहां
से वे न गिर जाय और वापस रखना न पडे । देवीकी पीठीका रचें । १०) मंत्र जप स्फटिक या सूत की माला से करें । इस माला से कोई अन्य
मंत्र का जप न करें या किसी अन्य व्यक्ति को वह जप करने न देवे | ११) जप की दिशा-पद-आसन-माला-समय एक ही निश्चित रखें । खास
कारण विना फेरफार न करें । १२) जप की जो भी संख्या निश्चित की हो, उतनी नित्य अखण्ड गिनें । बीच
मे एक भी दिन खाली न जायें, इस पर खास ध्यान रखें । १३) जप करते वक्त हो सकें तो पद्मासन में, नही तो सुखासन मे बैठकर
दृष्टी प्रतिमा सन्मुख या नासिकाग्र पर स्थिर कर के जप करें ।