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निर्णय-चर्चापत्र.. पुस्तकपढनेके सोनेचांदीके फ्रेमवाले चश्मेपहेननाभी फायदेमंदहुवा, और बातबातमें इरादा लानापडा,
९-कलम-नवमी, जैनमुनिकों मुनासिबहै-आहार-विहारमें जोचीनमीले गृहस्थकों विनातकलीफपहुचायेलेवे, अगरकोइ जैनमुनि-श्रावकको औसालि वेकि-हम-यहांसे तुमारेगांवतर्फ आनाचाहते है, तुमारागांव यहांसे (१००) या-(५०) कोश दुरहै-हमारे आनेका प्रबंधकरदो, औसालिखनेसे श्रावकलोग उनके सामने आदमी-यानोकरचाकर भेजे-उननोकरचाकरोकेलिये बेलगाडीवगेरा शाथचले मुताबिकजैनशास्त्र के जैनमुनिको सालिखना योग्यनहीं, इससे-श्रावकों तकलीफ होगी,
१०-कलमदशमी-अगरकोइ जैनमुनि-श्रावकोकों औसाकहेकि हमको पचास-या-सो-रुपये-महावारीका--कोइपंडित बुलवादोश्रावकोकी इतनीताकात खर्वकरनेकी-न-हो-जैनशास्त्र फरमातेहै उनपरजैसी फर्जडालना ठीकनहीं, अगरकोइकहे-यह-ज्ञानका कामहै श्रावकोकों-न-कहेगेतोकाम कैसेचलेगा ? जवाबमें मालुमहो-श्रावकोकों तकलीफ पहुचाकर कोइकाम-करनामुनासिवनहीं,-दशवैकालिक सूत्र लिखाहै-जैसे फुलकों विनातकलीफ पहुचाये भ्रमरअपनी रसलेताहै-इसतरह जैनमुनि गृहस्थसे आहारलेवे, हां ! अगरकोइ श्रावक अर्जकरेकि-में-आपको ज्ञानकासाधन मिलादेनाचाहताई-तो जैनमुनि-उसकी योग्यता देखकर खर्चका-काम-बतलावे, ज्यादह न-बतलावे,
११-कलमग्यारहमी-कोइजैनमुनि-अवलतो श्रावकको किसी धार्मिककामकी सूचनादेवे, श्रावक उसमूवनापर अमलकरे, और फिर