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निर्णय-चर्चापत्र, इसकालमें शरीररक्षाकरना पडती है-तो-सबुतहुवा, इरादे देहरक्षाके असाबरताव करनापडा,
६-कलम-छठी,-जैनशाखोमें जैनमुनिको दिनमें एकहीदफे आहारखानाकहा, ओर दिनमे नींदलेना नहीकहा, इसपर अगरकहा जायकि-शरीरकीस्थिति पहलेजैसी नहीरही, इसलिये दिनमें दोदफे आहारखाना पडताहै, औरदिनमें नींदभी लेनापडती है,-जो-फिर सबुतहुवा इरादे शरीरस्थितिके जैसाकियाजाताहै, असलमें पंचमहाप्रतधारी-उत्कृष्टक्रियापालनेकी चाहानावाले जैनमुनिकों दिनमें एकही दफे-आहारखाना चाहिये, औरदिनमें नींदलेना नहीचाहिये,-.
७-कलम-सातमी,-जैनशास्त्रोमें लिखाहै, चाहे-कोइ-जैनसाधुहो-साधवीहो-श्रावकहो-या-श्राविकाहो, जबजब-उपवासवतकरे तो-पहलेरौज-एकासनाकरे, और पारनेकेरौजभी एकाशनाकरे, इसी तरह-बेलेका तपकियाहो-छह-टंकखानाछोडे, औरतेलेका तपाकयाहो तोआठ-रंक-आहारखानाछोडे, आजकल इसतरहका बरताव-बहुत थोडे शख्शकरतेहोगे,-जोकोइ औसातप करे-वे-उत्कृष्टक्रियावान्
और उत्सर्गमार्गपर चलनेवाले कहेजायगे, जैसाकरे नही और अपने आपको उत्कृष्टक्रियावान् बोले-तो-इसबातकों जैनशास्त्र मंजुर नहीकरते,
८-कलम-आठमी-जैनशास्त्रोमे लिखाहै-जैनमुनिको लकडेके पात्ररखनाचाहिये, धातुके रखनामनाहै, इसीतरह चश्मेभी काष्टक मवाले रखनाचाहिये, अगरकहाजाय लकडेके फ्रेमबनतेनहीं, जवाचमे मालुमहो-कचकडे के फ्रेमवनेहुवे मीलते है, अगरकोइ इसदलिल. को पेंशकरेकि-इरादे पुस्तकपढ़नेके सोनेचांदीके फेमवाले चश्मे पहननापडताहै, क्योंकि पुस्तक पढ़नेमे चश्मेसे मदद मिलेगी, फिरइरादे