________________ 512 आप्तवाणी-१३ (पूर्वार्ध) प्रश्नकर्ता : देखनेवाले को। सूर्यनारायण और बादल अर्थात् जिस पर बादल का आवरण है। दादाश्री : हाँ, लेकिन देखनेवाले को न! लेकिन यह देखनेवाला और जाननेवाला दोनों एक ही चीज़ हैं ! प्रश्नकर्ता : अतः देखने की चीज़ और देखनेवाला, दोनों एक ही हैं? दादाश्री : हाँ। आत्मा स्व को भी जानता है और पर को भी जानता है। खुद के स्व को जानता है कि जानकार कौन है? स्व कौन है? प्रश्नकर्ता : जानी हुई चीज़, वह खुद ही है। खुद, खुद को ही जानता है। आत्मा स्व को भी जानता है और पर को भी जानता है। बादल हट गए, इसलिए खुद-खुद को पूरी तरह से दिखाई देता है। उसे केवलज्ञान कहते हैं। जय सच्चिदानंद