________________ [7] देखनेवाला-जाननेवाला और उसे भी जाननेवाला 507 507 प्रश्नकर्ता : नहीं। दादाश्री : वैसे ही आत्मा में झलकता है, संपूर्ण जगत् अंदर झलकता प्रश्नकर्ता : वह 'बीचवाला' कौन है दादा? दादाश्री : उपयोग। प्रश्नकर्ता : वह उपयोग लेकिन किसका उपयोग? दादाश्री : वह उस 'प्रज्ञा' का। प्रज्ञा के उपयोग में आ गया तो फिर बहुत हुआ। उससे आगे हमें किसी और की बहुत ज़रूरत नहीं है,अपना कॉलेज वहीं तक है। पूर्णता प्राप्त करने के लिए पालन करनी है पाँच आज्ञा प्रश्नकर्ता : हम जो कुछ भी देखते हैं और जानते हैं, वह एक बात है और दूसरी तरफ हमें ज्ञाता-दृष्टा बनना है, वह दूसरी बात है। यह देखनेजाननेवाला और वह देखने-जाननेवाला दोनों अलग चीजें हैं? दादाश्री : हाँ, ठीक है। प्रश्नकर्ता : तो इस देखने-जाननेवाले में से उस देखने-जाननेवाले में किस तरह ट्रान्सफर होता है? दादाश्री : यह देखने-जाननेवाला जो है न, उसकी सभी क्रियाओं को वह जानता है, वह यह ज्ञाता-दृष्टा है। प्रश्नकर्ता : अतः संक्षेप में अभी यह जो अहंकार है वह देखनेजाननेवाला है और अहंकार की क्रियाओं को जाने..... दादाश्री : मैं क्या कर रहा हूँ, मन क्या कर रहा है, बुद्धि क्या कर रही है। प्रश्नकर्ता : ठीक है, वह बात सही है आपकी लेकिन अभी भी हमें उसका अनुभव तो होता है कि ऐसा हो रहा है। जिसे आपने ज्ञेय- बनाया