________________ [7] देखनेवाला-जाननेवाला और उसे भी जाननेवाला 501 जो दिखाए, वह प्रज्ञा है प्रज्ञा ही देखती है अंत तक। प्रज्ञा ही हमें सबकुछ दिखाती है। प्रश्नकर्ता : मैं जब दस साल का था तब मैंने क्या-क्या किया था, वह सब दिखाती है। बारह साल का था तब के भी सभी फोटो दिखाती है, फिल्म की तरह दिखाती है। तो जो यह फिल्म दिखाती है, वह प्रज्ञा दिखाती है? दादाश्री : प्रज्ञा अर्थात् ऐसा कह सकते हैं कि आत्मा ही दिखाता है लेकिन अंत में फिर प्रज्ञा बंद हो जाती है। जब तक प्रज्ञा है तब तक शुद्धात्मा है, और आत्मा, वह तो परमात्मा है। हैं एक ही, लेकिन इसके (प्रज्ञा) आने के बाद 'वह' (आत्मा) हो जाता है! प्रश्नकर्ता : कल वे रो रहे थे तो उन्हें दिख रहा था कि ये चंदूभाई रो रहे हैं लेकिन फिर अंदर से, ‘दादा भगवान ना असीम जय-जयकार हो' चल रहा था तब चंदूभाई को जो देख रहा था, वह कौन है और जो 'असीम जय-जयकार' बोल रहा था, वह कौन है? दादाश्री : वह तो अंदर रिकॉर्ड चलती ही रहती है। प्रश्नकर्ता : अर्थात् अंदरवाली 'ओरिजिनल' टेपरिकॉर्डर चलती ही रहती है? दादाश्री : वह तो किसी-किसी टाइम पर चलती ही रहती है, अतः जो वह बोलता है, वह बोलनेवाला अलग और इन चंदूभाई को देखनेवाला अलग! प्रश्नकर्ता : जो चंदूभाई को देखनेवाला है, वह शुद्धात्मा है? दादाश्री : चंदूभाई जो यह कर रहे हैं न, उन्हें देखनेवाली बुद्धि है। प्रश्नकर्ता : तो फिर ज्ञाता-दृष्टा कैसे हुए, यदि बुद्धि ही देख रही हो तो? दादाश्री : ज्ञाता-दृष्टा तो जो इन सभी को देखनेवाले हैं, वे हैं। जो