________________ [6] एक पुद्गल को देखना 485 हमारे लिए एक ही है। उस धान के तिनके पर ज़रा पानी गिर जाए बरसात का तो फिर गाय को वह भाता नहीं है, इसलिए वे नहीं खातीं। बहुत भूख लगी हो तो खा लेती हैं। इसलिए वह कहता है कि 'काम के नहीं हैं ये धान के तिनके,' अपना भी यह ऐसा ही है। वास्तव में ऐसा नहीं है। वास्तव में तो यह पुद्गल और यह चेतन, ऐसा जिसे पता है, उसे सभी कुछ पता है। साइन्टिफिक सरकमस्टेन्शियल एविडेन्स से बना है यह सारा पुद्गल। संयोग से बनी हुई सभी चीजें पुद्गल हैं, स्वभाव से बनी हुई वस्तु चेतन है। आँखें मीचकर क्या देखना है? प्रश्नकर्ता : अब खुद के पुद्गल को ही देखना है, अन्य कोई ध्यान नहीं करना है। दादाश्री : उसमें तो कोई परेशानी नहीं है। उसी की तो ज़रूरत है। उसे ध्यान नहीं कहते। उसे दृष्टा और दृश्य कहते हैं। प्रश्नकर्ता : अतः अपने लिए अब शरीर को ही देखने की बात है। दादाश्री : उसमें कोई हर्ज नहीं है। उन सब की तो ज़रूरत है ही न! एक पुद्गल को ही देखते रहना है। एक पुद्गल का मतलब क्या है? बहुत ही कीमती हो वह भी पुद्गल और जिसकी कोई भी वैल्यू नहीं हो, वह भी पुद्गल। अतः सभी पुद्गल को एक जैसा मानना है। पुद्गल अर्थात् विनाशी। खुद दृष्टा बनें तब पता चलता है कि अंदर क्या है, जानने का प्रयत्न करे तब ज्ञाता बनता है, अतः पुद्गल ज्ञेय है। एक पुद्गल का मतलब क्या? प्रश्नकर्ता : एक पुद्गल अर्थात् आप क्या कहना चाहते हैं? दादाश्री : ये सभी कुछ जो दिखाई देता है, अलग-अलग दिखाई देता है लेकिन है पुद्गल अर्थात् पूरण-गलन स्वभाव ही है। अतः वे पूरे