________________ वसूली की परेशानी (22) 341 रखते थे। अब कौन ऐसा करनेवाला मिलेगा? मानी बेचारे भोले होते हैं। सिर्फ मान की ख़ातिर बेचारे हर प्रकार से ठगे जाते हैं। कोई रात को बारह बजे घर पर आए और कहे, 'अंबालाल भाईसाहब हैं क्या?' भाईसाहब कहा कि बहुत हो गया। यानी दूसरे लोग मानी का इस तरह से लाभ उठाते हैं! लेकिन मानी को क्या फायदा पहुंचाते हैं कि मानी को इतना ऊँचा चढ़ा देते हैं और फिर उसे ऐसा गिराते हैं कि फिर से मान वगैरह सब भूल जाता है। ऊँचाई पर चढ़ने के बाद गिरेंगे न! वे हमें रोज़ 'अंबालालभाई' कहते हों और अगर एक दिन 'अंबालाल' कह दें तो कड़वा ज़हर जैसा लगता था। इस मान के कारण सबकुछ उलझ जाता है, लेकिन मान अच्छा है। इंसान मानी बने वह अच्छा है, क्योंकि मानी व्यक्ति को अन्य कोई रोग नहीं होते, उसे तो सिर्फ मान दो कि खुश और लोभी को तो खुद को भी पता नहीं चलता कि मुझ में लोभ है। मान और क्रोध दोनों भोले स्वभाव के हैं, वह विवाह समारोह में जाए और 'आईए पधारिए' करे तो तुरंत ही पता चल जाता है। कोई कह देगा कि, 'छाती क्यों फुला रहे हो?' और लोभी को तो कोई कहनेवाला भी नहीं मिलता! लोभी की निशानी क्या? हम पूछे कि ये दो हीरे किसी को देने के बाद वापस नहीं मिलें तो आप पर क्या असर होगा? तब कहेगा कि, 'वह तो होगा ही न!' यह असर हुआ, वही लोभ की निशानी! हीरे दिए दो, उसमें न तो हाथ में लगा, ना ही अपमान किया, अपमान किया हो तब तो मान पर आघात किया कहलाएगा। यह तो ऐसे किसी लेन-देन के बगैर हीरे दिए है! कोई कहेगा कि, 'इन्हें गालियाँ देकर अपमान किया, तो कैसे सहन हो सकता है?' तो हम समझें कि संसारी है, इसलिए सहन नहीं हो सकता! लेकिन हीरे दिए, उसमें न तो देह को लगी है न ही खून निकला है, तो यह क्या है जो परेशान कर रहा