________________ वसूली की परेशानी (22) 337 चाहिए या फिर अपना उधार चुक गया ऐसा समझकर संतुष्ट होकर बैठे रहना चाहिए? दादाश्री : ऐसा नहीं है, वह व्यक्ति अगर अच्छा हो तो प्रयत्न करना और कमज़ोर व्यक्ति हो तो प्रयत्न ही छोड़ देना। प्रश्नकर्ता : प्रयत्न करना अथवा तो ऐसा कि भाई, हमें मिलना होगा तो वो घर बेठे आकर दे जाएगा और यदि नहीं आए तो समझ लेना है कि अपना उधार चुक गया, ऐसा मान लें? दादाश्री : नहीं, नहीं, इतना सब मत मानना। हमें स्वभाविक प्रयत्न करना चाहिए। हमें उससे कहना चाहिए कि, 'हमें ज़रा पैसों की कमी है, यदि आपके पास हों तो हमें भिजवा देना।' इस प्रकार से विनय से, विवेक से कहना चाहिए और वापस नहीं आएँ तो फिर हमें समझना चाहिए कि अपना कोई हिसाब होगा, वह चुक गया। लेकिन हम प्रयत्न ही नहीं करेंगे तो वह हमें मूर्ख मानेगा और वह उल्टे रास्ते चढ़ेगा। प्रश्नकर्ता : यानी उसके लिए सामान्य प्रयत्न करके देखना चाहिए? दादाश्री : सामान्य अर्थात् उसे कहना चाहिए कि 'भाई, हमें ज़रा पैसों की कमी है, आपके पास हो तो ज़रा जल्दी भिजवा दो तो अच्छा।' लेनेवाले का जितना विवेक होता है न, वैसा ही विवेक हमें रखना चाहिए। हम से पैसे लेते समय वह जितना विवेक रखता है, उतना ही विवेक हमें उससे पैसे वापस लेते समय रखना चाहिए। ये तो पैसे लेते समय हमें ऐसा ध्यान में रहता है कि पैसे तो मैंने उधार दिए है, वह ध्यान में रहता है वह सब बहुत नुकसान करता है। यह संसार तो पूरा पज़ल है, इसमें मनुष्य मार खा-खाकर मर जाए! अनंत जन्मों से मार खाते आ रहे हैं और छूटने का