________________ वसूली की परेशानी (22) 335 भी न्याय है, वापस देता है वह भी न्याय है। यह सारा हिसाब मैंने बहुत बरसों पहले निकाल लिया था। इसलिए यदि रुपये नहीं लौटाए तो उसमें उनका किसी का भी दोष नहीं है। इसी प्रकार यदि वापस देने आते हैं तो उसमें उनका क्या उपकार? इस दुनिया का संचालन तो अलग ही तरह से होता है। उसका हिसाब कुदरत चुकाएगी आपके पास से कोई रुपये ले गया। फिर तीन या चार साल बीत जाएँ, तो रकम की वसूली शायद कोर्ट के नियम से बाहर चली जाए, लेकिन नेचर का नियम ये लोग नहीं तोड़ सकते न! नेचर के नियम में रकम ब्याज सहित वापस देते हैं। यहाँ के नियम में कुछ भी नहीं मिलता, यह तो सामाजिक नियम है। लेकिन नेचर के नियम में तो ब्याज सहित मिलता है। इसलिए किसी जगह पर कोई अपने रुपये, तीन सौ रुपये नहीं दे रहा हो तो हमें उससे लेने चाहिए। वापस लेने का कारण क्या है कि यह भाई रकम ही नहीं दे रहा तो कुदरत का ब्याज तो कितना सारा हो जाएगा! सौ-दो सौ वर्षों में तो कितनी रकम हो जाएगी! इसलिए हमें उससे वसूली करके वापस ले लेने चाहिए। ताकि वह इतने बड़े जोखिम में तो नहीं पड़े! लेकिन अगर वह दे ही नहीं और जोखिम उठाये उसके ज़िम्मेदार हम नहीं हैं। प्रश्नकर्ता : कुदरत के ब्याज की दर क्या है? दादाश्री : नैचरल इन्टरेस्ट इज़ वन परसन्ट पर बारह महीने, यानी सौ रुपये पर एक रुपया! शायद कभी तीन सौ रुपये नहीं दे तो कोई हर्ज नहीं। आप कहो कि, 'मैं और तू, दोनों दोस्त। चलो साथ में ताश खेलते हैं। क्योंकि आपकी रकम कहीं जानेवाली तो है नहीं न! यह नेचर इतना अधिक करेक्ट है कि अगर सिर्फ आपका बाल भी चोरी किया होगा तो भी वह नहीं जाएगा। नेचर बिल्कुल करेक्ट है, एक-एक परमाणु तक करेक्ट है। इसलिए यह