________________ कला, जान-बूझकर ठगे जाने की (21) 331 क्या भोजन किए बगैर चला जाएगा? अब वह क्या फल देता है? उस खटमल में रहे हुए वीतराग हमारे में रहे हुए वीतराग को फोन कर देते हैं कि, 'ऐसे दाता कहीं नहीं देखे इसलिए इन्हें उच्चतम पद दो।' ये खटमल होते हैं न वे कभी भी भूखे नहीं मरते, रोज़ ही भोजन कर लेते हैं। ये लोग सोते हैं तब वे लोग भोजन कर ही लेते हैं न? लेकिन हमने क्या किया कि जागते हुए भोजन करने दो। लोग सोते हैं तब उसे भोजन करने देते हैं या नहीं करने देते? यानी ये खटमल वे ऐसी जाति नहीं है कि भूखे मरें। लोग नींद में भोजन करने देते हैं और हम जागते हुए भी भोजन करने देते हैं और वापस उसे मारने-करने की बात ही नहीं। हाथ में ऐसे तुरंत आ जाता है, लेकिन हम वापस उसे पैर पर रख देते हैं। हालांकि, अब मेरे बिस्तर में खटमल आते ही नहीं, बेचारों का हिसाब पूरा हो गया है। यदि हिसाब अधूरा रखें तो हिसाब कच्चे रह जाएंगे। आते पूछता हूँ कि ऐसी कौन सा हो कुछ लोग खटमल को मारते नहीं, लेकिन बाहर जाकर डाल आते हैं, लेकिन हाथ में आ जाए तो उसे छोड़ते नहीं। फिर मैं उनसे पूछता हूँ कि क्या तुझे पक्का विश्वास हो गया है कि एक कम हो गया है अब? ऐसी कौन सी गारन्टी से तू समझ गया कि एक कम हो गया? और ऐसे कम हो जाते, तब तो रोज़ कम ही होते जाते। फिर मैंने कहा कि खटमल को मारने की ज़रूरत नहीं है। उनका सीज़न होता है, उसके बाद अपने आप ही खत्म हो जाते हैं, नहीं तो खत्म करना चाहो फिर भी खत्म नहीं होते। यहाँ आप मार-पीटकर खत्म करो तो पड़ोसी के घर से घुस जाएगा। अब खटमल काटे, तब हमें यह पता चल जाता है कि प्रेम कहाँ है। यदि देह पर अभी तक प्रेम है तो आत्मा पर कब प्रेम आएगा? और खटमल बेचारे जब भोजन करने आते हैं, तब कहीं यहाँ पर डिब्बा लेकर नहीं आते। वे खाते हैं उतना ही, लेकिन