________________ 321 फिर जब वह पाँच झूठ बोल चुका होगा उसके बाद यदि उसकी बहन ने कोई चारित्रसंबंधी दोष किया हो, और तब कोई पूछे कि, 'भाई, आपकी बहन के बारे में यह बात सच है?' तब उस व्यक्ति के ये पाँच झूठ तो हो चुके, अब छट्ठा झूठ तो बोला नहीं जा सकता, इसलिए उसे 'सच है,' ऐसा कहना ही पड़ेगा। यदि पाँच मौके खत्म नहीं हुए होते तो पाँचवा यहाँ पर काम में ले सकता था, लेकिन पाँच झूठ बोलने के मौके पूरे हो गए! इसे नियम से अनीति कहा है। कोई चोर चोरी करता है, लेकिन यदि नियम से चोरी करे तो वह नियम उसे मोक्ष में ले जाएगा। नियम से चोरी करना यानी क्या? कि उसे महीने में दो चोरियाँ करने को कहा है। अब पहली बार हाथ मारा तो उसे दस रुपये हाथ में आए, फिर से हाथ मारा तो चालीस रुपये मिले। यानी चालीस और दस, इस तरह महीने में पचास रुपये मिले। अब यदि पहला हाथ नहीं मारा होता तो उसे दूसरे तीन सौ मिल सकते थे, लेकिन दो बार हो चुका इसलिए अब नहीं लिए जा सकते। उसने किसी की जेब में हाथ डालकर देख लिया कि ये तो तीन सौ रुपये हैं, लेकिन तुरंत उसे हुआ कि यह तो गलत किया, मुझसे दो बार तो चोरी हो चुकी है, तो वह छोड़ देता है। इसे नियम से अनीति कहा गया है। मूलतः वास्तव में मैं क्या कहना चाहता हूँ अगर उसे समझे न तो कल्याण हो जाए। हर एक वाक्य में मैं क्या कहना चाहता हूँ, वह पूरी बात ही यदि समझ में आ जाए तो कल्याण हो जाए। लेकिन यदि वह उस बात को अपनी भाषा में ले जाए तो क्या हो सकता है? हर एक की भाषा स्वतंत्र ही होती है, वह खुद की भाषा में ले जाकर फिट कर देगा, लेकिन यह उसकी समझ में नहीं आती कि 'नियम से अनीति कर!' प्रश्नकर्ता : दादा, मैंने भी जब पहली बार यह पढ़ा तब