________________ 320 आप्तवाणी-७ मुक्ति होगी, उसका निबेड़ा आएगा। प्रश्नकर्ता : अगर कोई नियम से रिश्वत ले तो उसे लोभ ही नहीं होगा न फिर? दादाश्री : अरे! यह नियम तो उसे ठेठ मोक्ष तक ले जाएगा और लोभ तो एकदम से खत्म हो जाएगा। और वह हो सकता है ऐसी स्थिति है। वह किया जा सकता है। प्रश्नकर्ता : यदि कोई रिश्वत लेता ही नहीं, उसका क्या होगा? दादाश्री : वह भटक मरेगा। रिश्वत मिल रही हो और नहीं ले तो उसका अहंकार बढ़ता जाएगा। और वह रिश्वत लेता है लेकिन नियम से यानी की जितने घरखर्च में कम पड़ें, उतने ही रुपये लेता है। अगर उसे फिर कोई पाँच हज़ार रुपये देने आए फिर भी वह नहीं लेता, पाँच सौ से अधिक एक भी पैसा नहीं। ऐसे नियम का पालन करे तो वह मोक्ष में जाएगा। अभी मनुष्य किस तरह इन सब मुश्किलों में दिन बिता रहा है? और फिर जितने रुपये की कमी पड़ रही हो, वे नहीं मिलेंगे तो क्या होगा? उलझन खड़ी हो जाएगी कि रुपये कम पड़ रहे है, वे कहाँ से लाऊँ? यह तो जितनी कमी थी वह सब आ गए, उसका भी पज़ल सोल्व हो गया न! वर्ना उसमें से इंसान उल्टा रास्ता अपनाए और फिर उल्टे रास्ते पर चला जाए तो फिर वह पूरी तरह से रिश्वत लेने लगेगा। इसके बजाय यह बीच का मार्ग निकाला है और उसने अनीति की फिर भी नीति कहलाएगी। उसे भी सरलता हो गई और नीति कहलाएगी और उसका घर भी चलेगा। हमने तो क्या कहा है कि तू झूठ बोलना ही मत और यदि तुझे झूठ बोलना ही हो तो नियम से बोलना कि आज मुझे पाँच ही झूठ बोलने हैं, छठ्ठी बार नहीं, तो मोक्ष में जाएगा।