________________ [20] नियम से अनीति नियमपूर्वक अनीति, लेकिन प्राप्त करवाए मोक्ष प्रश्नकर्ता : आप्तसूत्र में से 1936 नंबर का सूत्र है, 'व्यवहार मार्गवाले से हम कहते हैं कि संपूर्ण नीति का पालन कर, वह नहीं हो सके तो नियमपूर्वक नीति का पालन कर, वह नहीं हो सके और अनीति करे, तब भी नियम में रहकर कर। नियम ही तुझे आगे ले जाएगा।' वह ज़रा आप से समझना है। दादाश्री : इस पुस्तक में, आप्तसूत्र में सभी वाक्य लिखे हुए हैं न, वे त्रिकाल सत्यवाले हैं। इस वाक्य में मैं क्या कह रहा हूँ कि संपूर्ण नीति से चलना। फिर दूसरा वाक्य क्या कहा है कि वह नहीं हो सके तो थोड़ी बहुत लेकिन नीति का पालन करना और नीति का पालन नहीं हो सके तो अनीति का पालन मत करना। अनीति का पालन करे तो नियम से अनीति का पालन करना। यानी सभी छूट दी है न? अनीति का पालन करने की छूट इस वर्ल्ड में सिर्फ मैंने ही दी है! यानी अनीति का पालन करना हो तो नियमपूर्वक करना, ऐसा कहा है। आपको समझ में नहीं आया? इसमें ऐसा कहते हैं कि यदि हो सके तो पूर्णरूप से नीति का पालन करना और यदि पालन नहीं हो सके तो नक्की कर कि दिन में मुझे तीन नीतियों का तो पालन करना ही है। वर्ना अगर नियम में रहकर अनीति करेगा तो वह भी नीति है। जो