________________ निष्पक्षपाती मोक्षमार्ग 463 खुद तो डूबेंगे और दूसरों को भी डुबोएँगे। गुरुकिल्ली के बिना गुरु नहीं बना जा सकता। प्रश्नकर्ता : गुरुकिल्ली मतलब क्या? शुद्धात्मा का लक्ष्य? दादाश्री : ना, तब तो मोक्ष ही हो जाए। भगवान के समय में गुरुकिल्ली दी जाती थी। गुरु तो कोई भी बन सकता है, लेकिन वह विषयों में नि:स्पृह होना चाहिए। यह दुनिया तो रोगिष्ठों और रोगियोंवाली है, वहाँ तो गुरु होने से पहले गुरुकिल्ली हाथ में होनी चाहिए। ये तो जो गुरु बनते हैं, उसके पास दो-चार शिष्य होते हैं और वे उसे बापजी, बाप जी करते हैं इसलिए कैफ़ बढ़ जाता है, लेकिन गुरुकिल्ली से नॉर्मल रहता है। गुरुकिल्ली के बिना क्या देखकर गुरु बन बैठे हैं? जब तक 'ज्ञानीपुरुष' गुरुकिल्ली नहीं दें, तब तक गुरु कैसे बन सकते हैं? 'ज्ञानीपुरुष' गुरुत्तम होते हैं, उनसे बड़ा कोई नहीं होता और वे खुद लघुत्तम पुरुष भी हैं, उनसे छोटा कोई नहीं होता! आप कहो कि, 'आप आचार्य हैं।' तो हम कहेंगे कि, 'उससे भी गुरुत्तम हैं।' भगवान कहो तो हम कहेंगे, 'उनसे भी हम गुरुत्तम हैं।' और आप हमें कहो कि, 'आप गधे हो।' तो हम कहेंगे कि, 'हम उससे भी लघुत्तम हैं।' ऐसे 'लघुत्तम' 'गुरुत्तम' पुरुष की पहचान कैसे से हो पाए? और यदि पहचान पाएँ तो काम हो जाएगा! स्वच्छंद से रुका मोक्ष ___ मोक्ष में जाना हो तो अनंत काल का स्वच्छंद नाम का रोग निकालना ही पड़ेगा। 'ज्ञानीपुरुष' वीतरागी शब्द बोलते हैं उससे सामनेवाले का रोग चला जाता है। इसलिए हमें कहना पड़ता है कि कैसे हो? एक बार तो सीधे हो जाओ। 'मैं हूँ। मैं हूँ,' तो किसमें है तू? किसी के अधीन रह न! चाहे किसी के भी अधीन रह तो खुद का स्वच्छंद तो नहीं रहेगा न! इसीलिए तो कृपालुदेव ने कहा है कि : _ 'रोके जीव स्वच्छंद तो पामे अवश्य मोक्ष।' और आगे फिर स्वच्छंद निकालने का उपाय बताया है कि,