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________________ निष्पक्षपाती मोक्षमार्ग 459 एक सच्चे और दूसरे कल्चर्ड। अभी तो बनावटी मोती चलते हैं न! इसलिए, पहले किसका जन्म हुआ? प्रश्नकर्ता : सच्चे का। दादाश्री : यानी कि सच्चे मोती थे, तो बनावटी का जन्म हुआ। उसी तरह पहले दीक्षा सच्ची थी, तभी इस कल्चर्ड दीक्षा का जन्म हुआ न! यह अक्रम मार्ग है, इसीलिए किसी का तिरस्कार नहीं करना है, पत्नीबच्चे का भी तिरस्कार नहीं करना है, बल्कि रोज़ पत्नी के साथ झगड़ा करता था, वह भी बंद हो जाता है! __भगवान ने दीक्षा शब्द गलत नहीं रखा है, लेकिन दीक्षा किसे कहना, वह जानना पड़ेगा न? भगवान के समय में दीक्षा देते थे, तब यह बुलवाते थे। शब्द वही के वही रहे हैं, लेकिन दीक्षा बनावटी हो गई है। 'एगो में शाषओ अप्पा, नाण दस्सण संज्जूओ, शेषामे बाहीराभावा, सव्वे संजोग लख्खणा, संजोग मूला जीवेण, पत्ता दुःखम् परंपरा, तम्हा संजोग संबंधम् सव्वम् तिवीहेण वोसरीयामि।' आजकल तो दीक्षा लेते हैं और घंटे भर बाद चिढने लगता है। सव्वम् तिवीहेण वोसरीयामि करने के बाद भी किसलिए चिढ़ता है? सारा कल्चर्ड माल! यह दीक्षा तो वापस बंधन में बाँधती है। यहाँ पर जब 'हम' दीक्षा देते हैं, तो पूरा ही संसार रोग मिट जाता है! हम जब आपको हाथ में आत्मा नक़द दे देते हैं, उसी दिन दीक्षा देते हैं, दीक्षित करते हैं। लोग दीक्षा को उनकी खुद की लोकभाषा में समझते हैं, लेकिन वह तो दीक्षा कहलाती ही नहीं। आप ऐसा कहोगे तो कोई मानेगा नहीं, क्योंकि जहाँ भाषा का अर्थ यह हो गया है और जहाँ जो भाषा चल रही हो, वहाँ वही भाषा चलानी पड़ती है! अभी तो आठ आने गेहूँ और आठ आने कंकड़वाला हो गया है। ये
SR No.030014
Book TitleAptavani Shreni 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages455
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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