________________ 456 आप्तवाणी-२ शास्त्रों को पढ़ने से कैफ़ बढ़े, वे मत पढ़ना, यदि कैफ़ छूटता हो तो पढ़ना।' यदि कैफ़ बढ़ता हो तो फैंक देना वह पुस्तक। क्या पुस्तक का गुण कैफ़ बढ़ाने का है? ना! वह तो खुद के अंदरवाले बीज का गुण है! इस बबूल को शूल बनाने पड़ते हैं? ना, वह तो बीजगुण द्वारा हर एक डाली पर शूल आते हैं। फिर आचार्य महाराज से पूछा कि, 'वह कैफ़ किस तरह उतारोगे?' तब उन्होंने पूछा, 'ये क्रियाएँ तो कर रहे हैं न!' तब मैंने कहा, 'जिस क्रिया से कैफ़ चढ़ता है वे सभी अज्ञान क्रियाएँ हैं, भगवान द्वारा कही गई क्रियाएँ नहीं हैं। भगवान भगवान द्वारा कही गई क्रियाएँ ऐसी हैं जो कैफ़ उतारती हैं, उनसे कैफ़ नहीं चढता!' यह सब करने से कभी शुक्रवार बदलता नहीं और शनिवार होता नहीं! निंबोली बोई है, वह फल देगी। वीतराग का मार्ग आसान है, सरल है और सहज है, लेकिन लोगों ने कष्टसाध्य बना दिया है। अभी के इन मार्गों में, जो वीतराग धर्म है यदि वहाँ कोई तथ्य होता तो जगत् आफरीन हो जाता, लेकिन लोग देखते हैं कि, त्याग के कोनेवाला सिर्फ त्याग के कोने में ही पड़ा है और उसी को बुहारता रहता है और तपवाला सिर्फ तप के कोने को बुहारता रहता है! सभी कोने बुहारेगा तभी हल आएगा, ऐसा है! निर्ममत्व वहाँ मोक्ष कविराज क्या गाते हैं : ___'क्यांय न होजो ममत लगारे।' ममत तो कितनी जगह पर होता है? यह प्याला कोई ले जा रहा हो तो क्या ममत नहीं रखना है? ऐसा है, कि उस ले जानेवाले से कहना कि, 'देख भाई, तू ले जा रहा है, लेकिन यह नहीं मिलेगा। इस पर तो मेरा नाम है' और फिर वह पढ़े और कहे कि, 'हाँ, आपका ही नाम है, ले लीजिए।' तो यदि वह इस तरह से दे दे तो ठीक है, और वह नाम पढ़कर भी कहे कि, 'नहीं, मैं नहीं दूंगा।' तो वहाँ ममत नहीं करना है। ममत मतलब क्या? आग्रह करना। नाटकीय भाषा में कहना होता है कि, 'भाई, प्याले पर मेरा नाम है' और नाम पढ़कर वह दे दे तो ठीक है, लेकिन यदि