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________________ निष्पक्षपाती मोक्षमार्ग 449 साइकिल, मोटर, बस, प्लेन, ट्रेन में घूमते हैं, फिर भी काम पूरे नहीं हो पाते। वे कोम्प्लेक्स कर्म लेकर आए हैं, इसलिए इस काल में यहाँ से मोक्ष नहीं हो सकता। किसी काल में मनुष्यों का ऐसा पूरण (चार्ज) नहीं हुआ था, जैसा कि इस काल में मनुष्यों का पूरण हुआ है, वह अब गलन हो रहा है। ये सब, इतने सारे मनुष्य कहाँ से आए? तब कहे, अधिकतर तिर्यंच की रिर्टन टिकिट लेकर घुस गए हैं! 32 मा पर गधा बनता है और 33 मार्क्स पर मनुष्य बनता है, तो उसमें से एक मार्क तो देह में खर्च हो गया। मनुष्य का तो सिर्फ फोटो दिखता है, लेकिन अंदर गुण तो पशु के ही रहते हैं ! इस काल में ऐसा विचित्र हो गया है। ___ मोक्ष की पगडंडी इतनी अधिक सँकरी है कि एक जीव बहुत मुश्किल से मोक्ष में जा सकता है। फिर भी नियम के हिसाब से एक समय में 108 जीव जाते हैं, लेकिन पूरे ब्रह्मांड की तुलना में इसका तो कोई हिसाब ही नहीं है न! और इस भरतक्षेत्र में से तो तीन या चार ही लोग मोक्ष में जाते हैं, लेकिन वह भी अभी इस काल में बंद हो गया है और इस तरह के काल के चार आरों तक बंद रहेगा! ज्ञानी, मोक्षमार्ग के नेता दादाश्री : आपको मोक्ष में जाना है क्या? प्रश्नकर्ता : मोक्ष में जाने के विचार आते हैं, लेकिन मार्ग नहीं मिलता। दादाश्री : 'ज्ञानीपुरुष' अभी आपके समक्ष प्रत्यक्ष हैं तो मार्ग भी मिलेगा, वर्ना ये लोग भी बहुत सोचते हैं लेकिन मार्ग नहीं मिलता और उल्टे रास्ते चले जाते हैं। 'ज्ञानीपुरुष' तो शायद ही कभी, एकाध प्रकट होते हैं और उनसे ज्ञान मिलने पर आत्मानुभव होता है। मोक्ष तो यहाँ नक़द होना चाहिए। कोई कहे कि, 'आपका देह छूटेगा, तब आपका मोक्ष होगा।' तो हम कहें कि, 'नहीं, ऐसा उधार मोक्ष मुझे नहीं चाहिए।' मोक्ष तो नक़द चाहिए, यहीं पर सदेह मोक्ष बरतना चाहिए। इस अक्रम ज्ञान से नक़द मोक्ष मिल जाता है और अनुभव भी होता है, ऐसा है!
SR No.030014
Book TitleAptavani Shreni 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages455
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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