________________ 442 आप्तवाणी-२ मोक्षमार्ग को प्राप्त करे! मोक्षमार्ग में मुड़ना किसे कहते हैं? मोक्षमार्ग में एकाध मील तक चले तब। अभी तो ये जो धर्म हैं वे वीतराग मार्ग पर नहीं हैं। 'वीतराग मार्ग पर है' ऐसा किसे कहा जाएगा? जो नॉर्मल पर आ जाए उसे। अबव नॉर्मल इज़ द फीवर, बिलो नॉर्मल इज़ द फीवर। 97 इज़ द बिलो नॉर्मल फीवर एन्ड 99 इज़ द अबव नॉर्मल फीवर। 98 इज़ नॉर्मेलिटी! अबव नॉर्मल और बीलो नॉर्मल दोनों ही फीवर हैं। यह बात तो सिर्फ डॉक्टर ही लेकर बैठे हैं, लेकिन यह तो सभी के लिए है! सोने में, खाने में, पीने में, सभी में नॉर्मेलिटी चाहिए, यही वीतराग मार्ग है। अभी तो सब तरफ अबव नॉर्मल हवा खड़ी हो गई है, इसलिए हर तरफ पोइजन फैल गया है। इसमें किसी का दोष नहीं है, सभी कालचक्र में फँस गए हैं! वीतराग मार्ग अर्थात् सभी चीज़ों में नॉर्मेलिटी में आओ। ये तो तप में पड़ जाएँ तो तपोगच्छ हो जाते हैं। अरे, ये गच्छ में कहाँ पड़ा? ये तो सब कुएँ हैं, इसमें से निकला तो उस कुएँ में गिरा और यह तो एक ही कोना साफ करता रहता है। तप का कोना साफ करे तो तप का ही साफ करता रहता है, कुछ लोग त्याग का कोना साफ करते हैं तो त्याग को ही साफ करते रहते हैं, शास्त्रों के पीछे पड़े तो उनके ही पीछे! अरे, एक कोने के पीछे ही पड़ा है? मोक्ष जाना है तो सभी कोने साफ करने पड़ेंगे! फिर भी, कोने साफ करे हैं, इसलिए उसका फल तो मिलेगा ही, लेकिन यदि मोक्ष चाहिए तो यह काम का नहीं है। तुझे यदि चतुर्गति चाहिए तो भले ही एक के पीछे पड़। मनुष्य योनि में फिर से जन्म मिले, सब तरफ वाह-वाह मिले, ऐसा मैं तुझे यहाँ पर दे सकता हूँ। लेकिन यह सब कब तक? फिर जहाँ जाता है, वहाँ माथाफोड़ी है और क्लेश खड़ा होता है, ऐसा माँगने के बजाय तो ठेठ तक का तेरा मोक्ष ले जा न मेरे पास से! हमेशा के लिए हल आ जाए, ऐसा कुछ ले जा यहाँ से! एक-एक इन्डियन में वर्ल्ड को हिला देने की शक्ति भरी पड़ी है। हम इन इन्डियन्स को किसलिए अलग मानते हैं? क्योंकि इन्डियन्स में आत्मिक शक्ति है इसलिए। लेकिन वह शक्ति आज ढक गई है, रुंध गई है, उसे ज़ाहिर करने के लिए निमित्त चाहिए, 'मोक्षदाता पुरुष' का निमित्त