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________________ निष्पक्षपाती मोक्षमार्ग 441 चेक मिल सके वैसा है।' अरे, इस काल में 99,999 रुपये और 99 पैसे तक तो मिल रहा है न? ये तो बल्कि छुट्टे पैसे मिले! केन्टीन में पकौड़ी वगैरह खानी हो, तो भी छुट्टे पैसे काम आएंगे न? अभी तो रुपये का चिल्लर लेने जाएँ तब भी पाँच पैसे कमीशन ले लेते हैं न? हम इस काल में निन्यानवे हज़ार, नौ सौ निन्यानवे रुपये और निन्यानवे पैसे तक का चेक दे सकते हैं, वैसे हैं। इन लोगों को इतना पता चला कि 'मोक्ष नहीं है,' तो कहाँ तक का मार्ग खुला है, यह तो ढूँढ निकाल! यह गाड़ी बड़ौदा तक नहीं जाती, लेकिन सरहद तक जाती है, तब तो गाड़ी में बैठ ही जाना चाहिए न? लेकिन यह तो घर से ही नहीं निकलता और घर के दरवाज़े ही बंद कर दिए हैं! ऐसी नामसझी खडी हो गई है, इसमें किसका दोष? यह तो 'ज्ञानीपुरुष' सिर्फ इतना ही कहना चाहते हैं कि 'सिर्फ एक ही पैसा नहीं है।' छह आरों में से यह असल में अच्छे से अच्छा काल है, यह पाँचवा आरा है। इसे तो भठ्ठी काल कहा है। यह तो एक तरफ साइन्टिस्ट है और दूसरी तरफ भठ्ठी है, तो फिर भले ही कैसा भी मिलावटवाला सोना हो तो भी सुनार शुद्ध सोना निकाल देगा! छठू आरे में सुनार नहीं होंगे और सिर्फ भठ्ठी ही होगी। पाँचवे आरे में महावीर भगवान का सबसे लंबा शासन है। पहले के तीर्थंकर भगवानों के शासन तो भगवान के निर्वाण प्राप्त करने तक ही रहते थे, जबकि महावीर भगवान का शासन उनके निर्वाण के 21 हज़ार साल बाद तक रहेगा! ये लोग कहते हैं कि, 'मोक्ष बंद हो चुका है।' ऐसा कहते हैं, तो उनकी क्या दशा होगी? यह तो 'मोक्ष बंद है' कहकर दूसरे कार्यों में पड़ गए और मोक्षमार्ग एक तरफ रह गया। यह किसके जैसा है? इस साल अकाल पड़ा हो तो कहते हैं कि, 'अरे, खेत में बुवाई मत करना, बीज बेकार जाएँगे।' इस साल बरसात नहीं आई, इसलिए बीज बेकार जाएँगे, ऐसा करके बैठे रहते हैं। उसके जैसा है! नॉर्मेलिटी से मोक्ष 'हमारी' एक ही इच्छा है कि जगत् मोक्षमार्ग की तरफ मुड़े, जगत्
SR No.030014
Book TitleAptavani Shreni 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages455
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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