SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 469
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 432 आप्तवाणी-२ यदि जल्दी में हो तो जिनसे नियम लिया हो उनसे माफ़ी माँगकर कहना चाहिए कि, 'आज तो पैंतीस ही कर सकूँगा, तो पाँच माला के लिए माफ़ी दीजिए।' तो वह चलेगा, लेकिन यह तो जल्दबाज़ी में चालीस गिन लेता है। अरे, माला गिननी हो तो एक के बाद तीन और तीन के बाद सात ऐसा भला चलता होगा? नहीं चलता। चित्त को बाँधने के लिए माला करना सभी धर्मों में भी है, मुस्लिम में भी है। यह माला तो कब तक करनी होती है? कि जब तक चित्त की माला न घूमने लगे, तब तक और चित्त की माला घूमने लगे तो लकड़ी की माला करने की ज़रूरत नहीं रहती। आपको यह ज्ञान देने के बाद शुद्धात्मा की माला होती है, इसलिए अब अन्य किसी माला की ज़रूरत नहीं है। यह तो अजपाजाप शुरू हो गया। शुद्धात्मा का अजपाजाप शुरू हो जाए तो काम हो गया! फिर प्रकृति में जो माल हो, उसे खाली करना है, नाटक में पार्ट पूरा करना है! ये रुपये के नोट जल्दबाज़ी में गिनने हो तो नहीं गिनता, सतर्कता से गिनता है, बार-बार गिनता है, और माला में तो लापरवाह रहता है ! तब भगवान कहते हैं कि, 'मेरी तरफ तो देख, तेरा बाहर का कच्चा है तो तेरे अंदर का भी कच्चा रहेगा, रात-दिन तुझे अंदर संताप रहा करेगा।' अक्रम-मुक्ति के बाद भक्ति प्रश्नकर्ता : संतों ने हमेशा भक्ति ही क्यों माँगी? मुक्ति क्यों नहीं माँगी? दादाश्री : भक्ति और मुक्ति इन दोनों में देखने जाएँ तो यों कोई फर्क नहीं है। भक्ति मतलब अभी यहाँ ये महात्मा 'ज्ञानीपुरुष' की भक्ति करते हैं-वह, यानी क्या कि 'ज्ञानीपुरुष' के प्रति परम विनय में रहते हैं, उनका राजीपा (गुरुजनों की प्रसन्नता) प्राप्त करना, उसी का नाम भक्ति है। भक्ति का अर्थ ज्ञानी के पैर दबाना या उनकी पूजा करना ऐसा सब नहीं है, लेकिन उनका परम विनय रखना, वह है। यहाँ पर ये सब अभी मुक्ति नहीं ढूँढ रहे हैं, इन्हें ऐसा लगता है कि बस अब 'ज्ञानीपुरुष' की ही भक्ति करनी है। मुक्ति तो 'हमने' इन्हें एक घंटे में ही दे दी
SR No.030014
Book TitleAptavani Shreni 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages455
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy