________________ वीतराग मार्ग 421 वीतराग मार्ग ऐसा कहता है कि, 'जो कुछ हो रहा है वह वीतराग मार्ग का पुष्टि देनेवाले कारण हैं।' अभी जो सब हो रहा है वह वीतराग मार्ग को पुष्टि दे रहा है। प्रश्नकर्ता : जब ये होता है, तो हमें विचार आते हैं और उत्कृष्ट भावना होती है। दादाश्री : हमें ज़रा से भी राग-द्वेष नहीं होते। हमें तुरंत ही समझ में आ जाता है कि ये क्या कर रहे हैं! ये उपाश्रय में क्या कर रहे हैं? वीतरागों की पुष्टि ! वीतराग मार्ग किसे कहते हैं? कि जहाँ चंचलता का नाश हो जाए। सात्विकता की हद होती है, सात्विकता जो कि चंचलता को बढाए, वैसी सात्विकता खत्म हो जानी चाहिए। एक व्यक्ति जो कम चंचल होता है, वह इमोशनल नहीं होता, मोशन में रहता है। वह पूरी जिंदगी में जितने कर्म बाँधता है, उतने ही अधिक चंचलतावाला व्यक्ति पंद्रह मिनट में बाँध लेता है! यानी कि यह सारा वीतराग धर्म का पोषण हो रहा है। जितना-जितना आपको दिखता है न, जो उल्टा भासित होता है न, उससे वीतराग धर्म का ही पोषण हो रहा है, सारा ही! मुझे यह प्रश्न 1928 में खड़ा हुआ था। 1928 में मैं सिनेमा देखने गया था, वहाँ मुझे यह प्रश्न उत्पन्न हुआ था कि, 'अरे-रे, इस सिनेमा से अपने संस्कारों का क्या होगा? क्या दशा होगी इन लोगों की?' फिर दूसरा विचार आया कि, 'क्या इस विचार का उपाय है अपने पास? कोई सत्ता है अपने पास? कोई सत्ता तो है नहीं, तो यह विचार अपने काम का नहीं है। सत्ता हो, तब यह विचार काम का है, जो विचार सत्ता से बाहर हो और उसके पीछे मथते रहें, तो वह तो इगोइज़म है।' इसलिए फिर दूसरा विचार आया कि, 'क्या ऐसा ही होनेवाला है इस हिन्दुस्तान का?' उस समय हमें ज्ञान नहीं था, ज्ञान तो 1958 में हुआ, 1958 में ज्ञान हुआ था, उससे पहले अज्ञान तो था ही न? क्या अज्ञान किसीने ले लिया था? ज्ञान नहीं था, लेकिन अज्ञान तो था ही न? लेकिन तब वह अज्ञान में वह भाग दिखा कि, 'जो उल्टे का प्रचार जल्दी से कर सकता है, वह अच्छे का भी उतनी ही तेजी से प्रचार करेगा। इसलिए अच्छे के प्रचार के लिए ये