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________________ 56 नमस्कार बालावबोध [ गुजराती विपाकश्रुतांग 11 / ऎ अग्यार अंग अनई चऊद पूर्व जे भणइ, अनइ जे वर्धमानविद्या धरई, विनय सीखवइ, जे वाचनाचार्य सूत्र पढावइ / अनइं जिसिउं इंद्रमणि, तमार्लनीलोत्पल तेहनी पैरिई नीलवर्ण श्रीमल्लिनाथ श्रीपार्श्वनाथ ते उपाध्याय जाणिवा / अनई जे ईंहलोकि लाभ करइ ते उपाध्याय प्रेतिई माहरु नमस्कार हुँ // 33 // ____नमो लोए सव्वसाहूणं // ईगैइ लोकि मनुष्य खेत्र / किसिउं ते मनुष्य खेत्र, अढी द्वीप, बि समुद्र / किस्या ते अढी छीप / जंबूद्वीप 1, धातकीखंड 2, पुष्करद्वीपैनें अर्द्ध-ए अढो द्वीप / लवणसमुद्र 1, कालोदधि समुद्र 2 / ए मनुष्य खेत्रैमाहिं पनर कर्मभूमिमांहिं, किशी ते पनर कर्मभूमि, 'पांच भरत, पांच ऐरवत, पांच महाविदेह / किम पांच भरत / एक जंबूद्वीपैमा बि धातकीखंड द्वीपमांहि, बि पुष्करवर द्वीपौर्द्धमांहि / इम पांच भरत, पांच ऐरवंत पांच महाविदेह / इहां पनर कर्मभैमिमांहि जे सर्व साधु छइ / किस्या ते साँधु, रत्नत्रयसौंधक / किस्याँ ते रत्नत्रय, ज्ञान 1, दर्शन 2, चारित्र ३-ए रत्नत्रयना साधक, पांच महाव्रत पालक / किस्या ते पांच महाव्रत, सर्वप्रणाति गतविरम[ण] 1, सर्वमृषावादविरमण 2, सर्वअदत्तादानविरमण 3, सर्वमैथुनविरमण 4, सर्वपरिग्रहविरमण 5, रात्रिभोजनविरमण ६-ए छ प्रतना पालक / पांच सुमति सुमता / किसी ते पांच सुमति, ईर्यासुमति 1, भाषासुमति 3, आदानभ(भ)डनिक्षेपा सुमति 4, पारिष्ठापनिका सुमति 5 / ए पांच सुमतिइं सुमता / त्रिण्णि गुप्तिं गुप्ता / किसी ते त्रिणि गुप्ति, मनोगुप्ति 1, वचनगुप्ति 2, कायगुप्ति 3 ए त्रिण्णि गुप्ति गुप्ता / अढार संहस सोलांग धरइ / संतरभेद संयमें समाचरइ / किस्या ते सतर भेद संयम, पांच आश्रव 5, प्राणातिपात 1, मृषावाद 2, अदत्तादान 3, मैथुन 4, परिग्रह ५-ए पांच आश्रवथकु विरमइ / पांच इंद्रि ते किस्यां, चक्षुइंद्रि 1, घ्राणेंदि] 2, जिवेंद्रि 3, कर्णेद्रीय 4, स्पर्शनेंद्री ५-एहनउ निग्रह करइ / ध्यारि कखा(षा)य, किस्या ते च्यारि कषाय, क्रोध 1, मान 2, माया 3, लोभ ४-एह च्यारि कषायनूं जीपवू / तिणि दंड ते किस्या, मनोदंड 1, वचनदंड 2, कायदंड 3 / ए त्रण्णि दंड वसि आणी / ए सतरभेद संयम समाचरइ / ते साधु वर्णिण करी, जिसिउ अरिष्टमय रत्न अंजन मरकत 1. श्रुत 11 B / 2. एइग्यार अंगनि च° B / 3. अनइ वर्धमानविद्या जे धरइ B / 4. सीखइ A / 5. अनइ जिसिउ B / 6. लप्रियाळनी B7. परइ B / 8. लोकि कलाकलाप करइ B I 9. प्रतइ माहरो B / 10. हुओ B / 11. इणि B | 12. क्षेत्रइ किस्यु मनुष्य क्षेत्र B / 13. अढई - B / 14. दीप ए अढई B / 15. क्षेत्रमाहिं B / 16. भूमि किसि पनर करमभूमि B / 17. पंच भरत ऐर° B / 18. पंच B / 19. माहि बि B / 20. खंडइ बइ पु° B / 21. द्वीपाधि ए भरत B | 22. °वत तिम पांच B / 23. ए पनर B / 24. माहि सर्व B / 25. साधु जे B / 26. साधइ B| 27. किस्यो B / 28. Bमां 'सर्व' नथीः-प्राणातिपात 1, मृषावाद 2, अदत्तादान 3, मैथुन 4, परिग्रह 5, रात्रिभोजन 6, ए B / 29. पांचे समिते समिता / त्रिहुं गुप्ते गुप्ता B: 30. त्रिण्य B / 31. त्रिहं ए गुप्ते गुप्ता B / 32. सहस्र सीलंग रथ धरइ B / 33. सतरे मेरे संयन प.लइ / ते साधु वर्णि करी जिस्यो रिष्ट रत्नमय अंजन B /
SR No.023548
Book TitleNamaskar Swadhyay Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTattvanandvijay
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year1980
Total Pages370
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size38 MB
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