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________________ विभाग ] नमस्कार स्वाध्याय गया / किस्या ते आठ कर्म / ज्ञानावरणी 1, दर्शनावरणी 2, वेदनो 3, मोहनी 4, आयुकर्म 5, नामकर्म 6, गोत्रकर्म 7, अंतरायकर्म 8 / ए आठ कर्म क्षय करी सिद्धिई गया / किसी ते सिद्धि लोकनइ अंति / पंचतालीस लाख जोयणप्रमाण विष्कंभ अनइ मध्यभाणि आठ जोयण बाहुल्य जिसिउं उत्ताणु छत्र तिसिउ आकार / जिसिउ मोतीनउ हार रूपानु पट्ट आभूआनु पर्वत, जिसिड हीर गोखीरे, तेहनी परिई निर्मल धवल जे सिद्धिसिला तेहनइ मध्य विभौगि आठ जोयण ऊपरि गाऊनउ छट्ठउ भाग, त्रिण्णिसँई तेत्रीस धनुष प्रमाण, जे सिद्ध अजरामर स्थानक, तिहां जे पुहा छइ अनंत सुख लोणी छइ / किसि" ते सुख, जे सुखनइ अनंतमइ भौगि त्रिभुवनैतणूं सुख न हुइ / जिसिउ गुलाल पद्मरागमणि जासूल दौडिमीनां फूल होंगलो, तेहनी पॅरि रक्तवर्ण ते प्रमप्रभ वासुपूज्य जाणवा / अनइं त्रैम्यनूं वशीकरण मोह करई ते सिद्ध प्रतिई माहरुं नमस्कार हुँ // 2 // नमो आयरियाणं // आचार्य प्रतिइं माहरु नमस्कार हु / किस्या ते आचार्य, जे ज्ञानाचार 1, दर्शनाचार 2, चारित्राचार 3, तपाचार 4, वीर्याचार 5 ए पंचविध आचार आपणपई पालइ / परनइं उपदिशइ / अनइ श्रीआचार्यनइं प्रसादि विद्यामंत्रादिक सीझइ / अनइं जिसि धमिउं धमिउं सुवर्ण कुष्मांडी पुष्फ हरिद्रा हरीयाल तेहनी परिइं पीतवर्ण श्रीआदिनाथ प्रमुख 16 सोल तीर्थकर ते आचार्य जाणवी / अनइं जे अर्थ पढावः, सूरिमंत्र धरई, अनई जल-जलणादि सोल भय हई ते आचार्य 'प्रतिइं माहरुं नमस्कार हुँ॥ ___ नमो उवज्झायाणं // . उपाध्याय 4 तेइ माहरु नमस्कार हुँ / किस्या ते उपाध्याय / जे द्वादशांग पढइ / किस्या ते द्वादशांग / आचारांग 1, झूय डांग 2, ठाणांग 3, समवायांग 4, विवाहपन्नती 5, ज्ञाताधर्मकथांग 6, उपासगदशांग 7, अंतगडदशांग 8, अणुत्तरोववाईदशांग 9, प्रश्नव्याकरणांग 10, ..1. आउखुं 5 B / 2. नाम / गोत्र / अतराय ए B / 3 सिद्धि BI * 4. किसि छइ ते B | 5. माथइ पच B / 6. नइ B / 7. भागइ B / 8. उत्ताणानुं A / 9. तिसइ आकारइ जिसो मोतीनो. हार B | 10. रूपानो पट्ट B | 11. जिस्यो B / 12. गोक्षीर B / 13. परइ B / 14. B प्रतिमा 'निर्मल' नथी / 15. भागइ B / 16. गाऊनो छटो B / 17. सइ तेतीसा B / 18. पोहोता B | 19 अनइंA / 20. लीण B | 21. किसो ते B | 22. भागइ B / 23. तणो न होइ अनइ लाल B / 24. दाडिम फूल B / 25. परइ B | 26. जाणिवा / अनइ B / 27. त्रैलोक्यनउ वसीकरण B / 28. कर ते A / 29. प्रतइ माहरो B / 30. होओ B | 31. प्रतइ माहरो B / 32. हुओ B | 33. पांचविधाचार आपणि पालई B / 34. पलावइ B / 35. नइ प्रसादह / 36. B प्रतिमा 'अनइं' नथी / 37. जिस्यो धम्यो B / 38. हरिद्र हरियाल B / 39. परइ B / 40 जाणिवा Bi 41. अनइ ते अर्थ B / 42. घरई B / 43. अनइ B / 44. जलनादिक B . 45. हर ते Bi 46. प्रतइ माहरो B | 47. हुओ B / 48. प्रतह माहरो B / 59. हुओ B | 50. सूगडांग AM 51. °हप्रज्ञप्त्यंग B / 52. ठाणांग 8 अंत B / 53. अणूत्त° BI
SR No.023548
Book TitleNamaskar Swadhyay Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTattvanandvijay
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year1980
Total Pages370
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size38 MB
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