________________ [अज्ञातकर्तृक ] . [98-16] नमस्कार बालावबोध / ( सत्तरमा सैकानी गुजराती भाषा ) ॐ // श्रीवीतरागाय नमः / नमो अरिहंताणं // अरिहंतनई माहरउ नमस्कार है। किस्या छइ ते अरिहंत / राग द्वेषरूपीया अरि वयरी हण्या छइ 'जेहे / ते अरिहंत वली किस्या छइ / चउसट्ठि इंद्रतणी नीपँजावी पूजानइ योग्य थाइ। किस्या ते चउसद्वि इंद्र / वीस भवनपति, बत्रीस व्यन्तरेंद्र / दस देवलोकना बिई चंदमा सूर्य / ए चउसट्ठि इंद्र संबंधिनी पूजा रहैइ योग्य थाइ / वली अरिहंत किस्या छइ / उत्पन्न दिव्य विमलकेवल ज्ञान, चउत्रीस अतिशय विराजमान, अष्टमहाप्रातिहार्य शोभमान / किस्या ते अष्टमहाप्रातिहार्य-अशोकवृक्ष 1, फूल पगर 2, परमेश्वरनी वाणी 3, चामरयुग्म 4. सिंहासन 5, छत्रत्रय 6, भामंडल 7, देवदुंदुभि 8 / ए आठ महाप्रातिहार्ये कैरी शोभायमान / विहरमान तीर्थकर भगवंत अरिहंतपदि ध्यायवा / अनई जिसिऊं स्फटिकमणि 1 अंकरत्न 2 शंखें कुंदतणा पुप्फ तेहेतणो पहिं धवलवर्ण / श्रीचंद्रप्रभ सुविधिनाथ ते अरिहंत जाणिवा जे मोक्ष खेचरपदवीना देणहार / ते अरिहंत प्रतिइं माहरु नमस्कार हु॥ _ नमो सिद्धाणं // सिद्ध प्रेतिइं माहरउ नमस्कार हुँ। किस्या ते सिद्ध / जे आठ कर्मनउ क्षय करी मोक्ष 1. महोपाध्याय श्री 19 लावण्यविजयगणिगुरुभ्यो नमः // B / 2. माहरु B / 3. हुओ B | 4. केहवा B / 5. रुपिआ B / 6. जेणइ B | 7. केहवा B / 8. नीपजा रहई यो° A / 9. केहवा छइ ते B / 10. भुवनपतिना B / 11. व्यान्तरेंद्र A / 12. बै B / 13. हुइ B / 14. प्रतिमा 'दिव्य' नथी / 15. संशो° B / 16. करी संशो° B | 17. नइ जेहवो स्फुटिक B / 18 शंखह तणा / 19. तेहनी परइ / 20. प्रतइ नमस्कार हुओ B| 21. प्रतइ माहरो न° B / 22. हुओ BI 23. कर्मनो BI (प्रति-परिचय) आ बालावबोध पाटण, श्रीहेमचन्द्राचार्य ज्ञानमंदिरनी डा० नं० 117, प्रति नं० 3441 नी पांच पानानी प्रति उपरथी उतायुं छे जेनी A संज्ञा राखवामां आवी छे अने ए ज ज्ञानमंदिरनी डा० नं० 135, प्रति नं० 4120 नी चार पानानी प्रति उपरथी B संज्ञाथी पाठभेद लीधा छ / __ आमां नवकारना विशेष अर्थो लगभग सत्तरमी सदीनी भाषामा लखवामां आव्या छे / आना कर्ता विशे कोई माहिती मळो नथी /