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________________ विभाग] नमस्कार स्वाध्याय जि दंड कीजइ / तिसिइ बापडा ते चोररहई तावडइं अनइ रुधिरनइ नीकलवइ करी अपार गाढी तृषा लागी। जि को ढूकडु जाइ तेहहूइ पाणी मागइ / राजाने भए करी कुणहू पाणी पाइ नही / तिसिई जिनदत्त श्रावक आविउ / पेलइ पाणी मागिउं / श्रावकि कहिउं- पाणी लेई आq तेतलइ तू नुकार गुणि / 'नमो अरिहंताणं' मुखि ऊचरि / श्रावक घरि जई करवडउ पाणी भरी जेतलई आवइ तेतलई 'नमो अरिहंताणं' कहितां जि चोरना प्राण ग्या। मरी महर्द्धिक यक्ष देवता ऊपनउ / तिसिं चरे जई जिनदत्त श्रेष्ठिनु वृत्तांत राजा आगलि कहिउ / राजाई तेहरहइ सूली घालवानुं आदेश दीधउ / रासमि चडावी तीणइं भूमिकां लेई ग्या / तीसई तीणइं हुंडिकयक्षइ नवइ ऊपनइ अवधिज्ञान प्रयुजिउं / आपणा गुर जिनदत्त श्रावकहई तिसी अवस्था दीठी रीसाबिउ / आवी नगर ऊपरि महाकाय शिला विकुर्वी, आकाशि वाणी बोलवा लागो- अरे राजा अमात्य प्रमुख सर्व नगरलोक ! पापी आओ हवडां जि ईणई शिलाई करी तुम्ह सविहुंहूई चूर्ण करउं / ए दयानु समुद्र सुश्रावक माहरु स्वामी श्रीजिनदत्त श्रेष्ठी; तेहहई तुम्हे एवडी विडंबना कर छउ / एकवार देवु माहरूं कीधुं / तीसइं राजा प्रमुख सहू को भयभ्रांत हूतुं पुष्पादिकनी पूजा करी वोनवइ-अजाणिवा लागइ, कीधउं ए अपराध खमि / अहो देवता ! आज अम्हहूई जीवितव्य दिई / देवता कहइ-तु जीवता मूकुं, जउ एह श्रीजिनदत्त श्रेष्ठिनइ सरणइ पईसउ; अनइ पूर्वदिसी माहरउ प्रासाद करावु / माहिं सूलिइ धालिउ चोर अनइ नुकार देतु श्रेष्ठि ए बिहुंनी मूर्ति करावी पूजउ तु मूकुं / राजाई सहू मानिउं / पछइ श्रेष्ठिनइ अन्याय खमावी पट्टहस्तीइं बहसारी मोटे उत्सवे नगरमांहिं पइसारु कोधउ / ते यक्षना प्रासादमाहिं तिसी बि मूर्ति सहू कराविउं / यक्ष उपशांत हूउ / स्थानकि पहुतु // कथा पांचमी 5 // .. तथा नुकारनइ प्रभाविइं मोक्षइनी पदवी लाभइ / राजसिंह कुमारनी परि / अत्र कथा [6] त्रीजउ पुष्कखरद्वीप, तिहां भरतक्षेत्रमाहिं सिद्धावट ग्राम / तिहां हूकडी पर्वतनी गुफाई एक दमसार ऋषीश्वर चउमासी उपवास तप करतु चउमासु रहिउ छइ / तिहां एक पुलिंदिउ नइ पुदिंदी आव्या / ऋषि वांदिउ / भद्र परिणाम देखी ऋषि मुंकार सोखवीनइ कहिउं-ए त्रिकाल सदैव सावधान थई जपिवउ / पेलां बेहू सदैव जपई / ऋषि चउमासा पूठिं गुरुकन्हलि पहुता / कालिं बेह परोक्ष हुआं। पुलिंदानु जीव मरी जंबूद्वीप मणिमंदिर नगरि राजा मृगांकराजा विजया राणी, तेहनइ गर्भि अवतरिउ। राणीइं सीहनुं स्वप्न लाधउं / अनुक्रमि पुत्रजन्म हुउ / महोत्सव करी राजसिंहकुमार नाम दीघउं / मउडइ मउडइ बहुत्तरि कला पारीण इउ / रूप लावण्य सौभाग्यनउं निधान यौवन वय प्राप्त हूउ / मतिसागर मुहतानउ बेटउ सुमतिकुमार / तेहसिउं राजसिंहनइ मित्राई छइ / एकवार राजसिंहकुमार मित्रसहित वनमाहिं तुरंगमनी क्रीडा करिवा गिउ / घणी वेला तुरंगम खेलावी थाकु एक आंबानी छायाइं वीसमइ छइ / तिसइ एक वटेवाहू तिहां मिलिउ / कुमरि पूछिउं-कहु किहां थकी आव्या, किहां जासिउ ! / किहांई काई आश्चर्य दीठउं हूइ ते कहु / पेलइ कहइपन्नपुरनगरथकु हूं आविउ / सकलतीर्थनु ठाकुर श्रीशत्रुजयतीर्थनी यात्रा करवा जाउं छउं / हवई
SR No.023548
Book TitleNamaskar Swadhyay Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTattvanandvijay
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year1980
Total Pages370
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size38 MB
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