________________ 42] नमस्कार बालावबोध [ गुजराती ते ऊपरि पगि पगि खीजई / पेली आपणा कर्मजिहूई दोस दिइ / किमइ धर्मथकी चूकइ नही / भरतार श्रीमती ऊपरि द्वेष वहत उ तेहहई विणासीनइ बीजी स्त्रो परिणेवा हीडइ / एकवार तीणई कालदारुण सर्प घडामाहिं घाती, ढांकी घरमाहिं मूंकिउ / अवसरिं वास भवनमाहिं शिय्याइं बइठउ श्रीमतीहूई कहइ-जा घरमाहि अमुकई स्थानकिं घडामाहिं फूल मूकां छइं ते आणि / पेली स्त्री महाविनीत तत्काल तिहां गई / नवकार जपीतीइं जि ढांकणूं ऊधाडी घडामाहिं हाथ थाल्यो / नउकारनइ प्रभाविइं तूठी शासनदेवताई सर्प फेडी सुगंध फूलनी माला कीधी। श्रीमतीई ते फूल आणी भरतारहई आप्यां / पेलउ चमकिउं / ए किसिउं हुई। तिहां जई ते धडउ जोअइ / देखइ त उ माहिं साप नहीं, अनइ घडउ परिमलिं महमह छइ / पछइ जाणि उ-सही एहहुई देवता साहाय्य करइं / हुं अभागिउ एहहूई पाडुउं चीतवउं / पछइ सजनवर्ग मेली तेह आगलि आपण उ वृत्तांत कहि श्रीमतीहई खमावइ / तेहना गुण ऊपरि अनुराग धरइ / एकवार अवसर देखी श्रीमती भरताहूई जिनधर्मना मर्म कहइ / कर्मविवरनई योगिई प्रतिबोध लागउ / महामर्जादो जैन श्रावक इउ / यावज्जीव धर्म पाली सुगतिइ पुहुतउ // कथा एक 1 // ___ वली नउकारनई प्रभाविइं अनेक संकट भाजइं, लक्ष्मीनी प्राप्ति हुइ; जिम श्रावकना बेटाहूई हुई। अत्र कथा [2] रतनपुर नगर, यशोभद्र श्रेष्ठि-श्रावक तेहनउ बेटउ शिवकुमार महाव्यसनीउ / पिताई प्रांतकालिं मान मागी कहिं उ-वच्छ ! एतलउं करिजे; जिवारई तूं हूई गाढउं संकट आवइ तिवारइ ए नउकार जपेइ / दाक्षिण्य लगई मांनिउं / पिता दिवंगत हूउ / शिवकुमार सात व्यसन पोषतई हुँतई लखमि सधली नीगमी। निर्द्धन भणो किहाई मान महत्त्व न लहई / एकवार तेहहूई त्रिदंडीउ मिलिउ। तेह आगलि प्रीति लगइं निर्द्धनपणानउ विषाद प्रकाशिउ / त्रिदंडीउ कहइ-जउ माहरउं कहिउं करों तओ तूहहूई लक्ष्मीई करी धनद समान करउं / पछइ शिवकुमारपासइं एक मृतक अणावी काली चउदसिनी रात्रिई मसाणनी भूमिकाई गिओ। मांडल मांडिङ / मृतकहाथिं ऊघाडउं खड्ग आली शिवकुमारहूई कहिउँ-तू एहनां पगनां तलां उलहांसि। आपणपई मंत्रनु जाप होम करइ छइ / तिसिइ शिवकुमार संकटि पडिउ चीतवइ-आहा सही, ईणइं मायावीइं त्रिदंडीई ए सघलु मुझ मारिवानउ उपाय मांडिउ / मृतक ऊठीनइ सही मुजहूई खड्गि करी आहणिसिइ; तउ हिवं किसिउं करउं / ईहां थकउ हवडा नसाई नही / इम करतां पितानउं ते वचन सांभरि / एकाग्र हुई नउकार जपवा लागउ / त्रिदंडीयाना मंत्रनई बलिइं करी ते मृतक लगारेक सलसलीनइ ऊठिवा लागउं / वली पाछउं जि पडिउं / त्रिदंडीउ चीतवइ-सही कांई भाहरा जापमांहि दोदलउओ इओ / वली विशेषिई एकाग्रपणइं करवा लागउ / मृतक ऊठी बीजइ वार वलो तिम जि पाछउं पडिङ / तिवारइं त्रिदंडीउ चमकिउ / शिवहूई पूछइ-कांई मंत्र तू हुई आवडई ? शिव कहइ-ना / पुण हिआमाहिं नउकारनउ महिमा जाणिउ। पछइ त्रिदंडीउ अनइ शिवकुमार बेहू जणा वली आपणउं मंत्र स्मरवा लागउ / वेतालन