________________ विभाग नवकार स्वाध्याय नयर वसंतपुर राय :जियसत्तु, धारणी राणी संभलउ वत्त, चंडपिंगल तिहां चोरटइ, आभरण लेइ वेश्याघरे पत्त / राजपुरुषे सूली दियउ, वेस कलावती पूरव मित्त, सार नवकार संभलावियउ, ते थयउ नरवरतणइ घरि पुत्त // 10 // भवियण मन मुधि ध्यायइ / कमठ गंजन पासकुमार, अरध बलतउ तिहां साप उदार, मंत्र 'अ सि आ उ सा' दाखव्यउ, धरणिधणी थयउ नागकुमार / ध(धा)रिणि पदमावती तसु तणइ पंचपरमिट्ठनउ सुजस विस्तार, समली राजकुमरी थई, साधु मुखइ भर वच्छि मझारि // 11 // ___ भवियण मन सुधि ध्यायइ / नयर राजगृही प्रसेनजित राय, श्रावक ऋषभदास नाम कहाय, देववंदण देहरइ गयउ, रूप खुर चोर रसना ललचाय / राय भेलउ नित जिमइ, धूमप्रयोग सूली दिवराय, पाणी तासु पावइ नही, सेठ नवकार दियउ चोर सुर थाय // 12 // भवियण मन सुधि ध्यायइ / संबल कंबल वृषभ अथाम, संभलाव्यउ नवकारनउ नाम, सुर थया सबल रिधि संपनी, श्रावक जिनदास सीखव्यउ ताम / विद्या आगासगामिनी तसु मुत, चीतव्यउ अगनिनइ ठाम, पढियइ जउ सीझइ नहीं, चोर साहस धरी साधियउ काम // 13 // . भवियण मन सुधि ध्यायइ / भीली नइ भीलणी वनह वसंति, नगर पुष्करारध नाम कहंति, साधु दमसार दयानिलउ, सीखव्यउ तिहां भणी हित धरी मंत / ध्यान धरी अहनिसि जपइ तिहां थकी, चवि थया निरमल कंत, राजसिंह कुमरि रत्नावती, मति धरियइ कविजन कहइ संत // 14 // भवियण मन सुधि ध्यायइ / इणि परि सुख लह्या लहिस्यइ अनेक, अभिनव चित्तमाहि आणि विवेक, जे नवकार मंत सुधि जपइ, तेहनइ स्याम भुजंगम भेक /