________________ नवकारफलगीत | हिन्दी इंद्र जउ लेख सदा लिखइ, तउ पणि एहनउ नवि लहइ मान, अकलि सारू सहु को कहइ, तउ हिव कीजीयइ एहनइ ध्यान-कई // 4 // भवियण मन सुधि ध्यायइ / एहना संभलिज्यो अवदात, मनथकी छंडिज्यो कच पछतात !, मन पछइ सिद्धि न संपज्जइ, मन सुधि सफल हुवइ देवनी जात / करि निजमत गुरुवयण ले, सदगुरु प्रणिमिजइ तेणि परभात, मुगुरु सिखामणि मानियइ, सुगुरुनउ ए उपगार विख्यात // 5 // भवियण मन सुधि ध्यायइ / नवपद ध्यावतां संपदा होइ, शास्त्रनी युक्ति विचारिनइ जोइ, इहां न विक्रम कपट कहुं सुगुरुनउ वचन मानउ सहु कोइ / सुगुरु ते मंत्र ए सीखवइ, तेहना प्रणमियइ चरष(ण) नित दोय. साजण जण तेहि ज खरउ, सांभलिज्यो नरनारी लोय // 6 // ___ भवियण मन सुधि ध्यायइ / इह भवि लील लही नरनारि, तेहना कविजन नाम संभारि, रतनपुरी रलियामणी, यशोभद्र श्रावक सेठ सुविचार / तसु सुत सात व्यसन धरइ, ते अछइ सिव नामइ चित्त उदार, जोगी कपट कीधउ घणउ, सोवन पुरस थयउ नव[कार]-कइ // 7 // भवियण मन सुधि ध्यायइ। पोतनपुरि अछइ सुगत इणी नाम, श्रीमती तासु सुता अभिराम, कपट परणी पछतावियउ, अहि धर्यउ कुंभमहि मारिवा काम / मिथ्यात्वी मन भय नहीं, सुभग कहइ निज नारि नइ ताम, फूलमाला मुझ आपिज्यो, श्रीमती कुमरिनी राखी छइ माम // 8 // भवियण मन सुधि ध्यायइ / क्षितिपरतीठ छइ नगर सुविसाल, जल बहइ नइतणउ वेग असराल, बीजपूरक नररायनइ दीघउ, जी आणिनइ स्वाद रसाल / राय नित पुरुष तिहां मोकलइ, देवता बागमांहि हणइ ततकाल, जिणदास श्रावक गुणनिल, मंत्र गुणी तिहां वरी जयमाल // 9 // ___ भवियण मन सुधि ध्यायइ /