________________ [हिन्दी नवकारफलगीत भूत वेताल पुहचइ नही, सुगुरुनउ वचन जउ मानि जइ एक, एहनउ ध्यान नविछंडियइ, राखियइ चतुर नर आपणी टेक // 15 // भवियण मन सुधि ध्यायइ / धण कण कंचण राज्यभंडार, पामियइ लाछि लीला अवतार, सजन रसा भाग सदा लहइ, मन मिलतउ तसु मिलइ पर वार / आण को तासु लंघइ नही, आदरिज्यो तुम्हे चतुर नर नारि, मंत्रमहिमा सिद्धि चकमइ 'लखमीकीरति' जगि जयकार // 16 // भवियण मन सुधि ध्यायइ / [95-13] श्रीविनोदीलाल रचित नमस्कारसुभाषित ( कवित्त ). जगमें संजीवन है पंच नमोकार मंत्र, जपो जाहि बार बार छिन एक न भुलाइये / सोवत उठत मुख धोवत विदेश जात, बनमें भुजंग संग देख न डराइये // संकटहू न परै जीव विन्तरहू छलै नाहि, अग्निहू में जरे नाहिं समुद्र पैर जाइये / कहत है 'विनोदीलाल' सुनो भैया भव्य जीव, जाकी जाप जपेसे मोक्ष फल पाइये // परमातम अर्हत् प्रभु, सिद्ध शुद्ध सुखदाय। आचारज उवझाय मुनि, वन्दू मस्तक नाय // (प्रति-परिचय) आ कृति कोई स्तवनावलीना संग्रहमांथी लेवामां आवी छे / आना कर्ता विनोदीलाल होवार्नु एमां ज सूचन कयुं छे। आ कवि सहजादिपुरना रहेवासी हता। तेमणे दिल्हीमां आवीने सं० १७४७मां भक्तामरकथा, सं० १७४९मां सम्यक्त्वकौमुदी वगेरे कृतिओ रच्यानु जणाय छ / __ आ गीतमा नमस्कारनो महिमा सूचव्यो छ /