________________ [हिन्दी // 4 // नवकारमाहात्म्य मंगलिक चोथो ए अवधार, केवली भाषित धर्म संभाल / टालै रोग सोग भय मरण, साचो श्रीजिनधर्मनो सरण चार सरण करे नर जेह, भवसायर डूबे नहि तेह। सकल कमेनो आणे अन्त, मोक्ष तणां सुख लहै अनन्त तीन काल तिहुं जोगे करै, ऊँची पदवी ते नर वरै। विजयभद्र कवियण इम कहै, गरभावास जीवड़ो नवि लहै // 6 // NRNAM . DIT