________________ विभाग ] [13 नमस्कार स्वाध्याय नवकार लक्खु जो नरु गुणेइ, नियसत्तिए पच्छा उज्जमेइ / नवकारपभाविहि सुयपवित्तु, नरु बंधइ सिरितित्थयरगोत्तु // 27 // नवकार गुणइ जो अट्ठअह, पद दियहु तस्स कमट्ठ नट्ठ / नवकार गुणइ जो अट्ठकोडि, सो सबह दुक्खह जाइ तोडि // 28 // नवकार सरइ जो मरणकालि, सो बंधइ अन्नद भवह पालि। नवकारि भाउ जसु अप्पमाणु, संपज्जइ सो रिद्धिवद्धमाणु // 29 // जो नरु निरु नवकारह रत्तउ, पंचहिं समिइ तिगुत्तिहिं गुत्तउ / पढइ गुणइ नवकारहं भत्तउ, सो निव्याणह जाइ निरुत्तउ // 30 // // इति नवकारफलणनं समाप्तम् // लाख नवकार जे माणस गगे अने पाछळथी तेमां शक्ति मुजब उद्यम करे छे (शक्ति मुजब उजमणुं करे) छे नवकारना प्रभावे शुचि पवित्र थयेल ते तीर्थंकर नामकर्म बांधे. 37 जे रोज आठ आठ नवकार गणे छे तेनां आठ कर्म नाश पाभे छे. जे आठ करोड नवकार गणे छे ते सर्व दुःखोने ओळंगी जाय छे. 28 जे मरण समये नवकार- स्मरण करे छे ते बीजा भवनी पाळ बांधे छे. नवकारमा जेनो अपरिमित भाव छे ते वधती जती ऋद्धिने पामे छे. 29 __जे माणस निरंतर नवकारमा रक्त छे, जे पांच समिति (थी समित) अने त्रण गुप्तिथी गुप्त छे अने भक्तिपूर्वक नवकार पढे छे, ते निश्चित मोक्षमा जाय छे. 30 . प्रति-परिचय मुनिश्री जिनविजय जीए छपावेल छतां अद्यावधि अप्रगट संग्रहना फोर्म उपरथी उतारीने आ * 3-4 नंबरनी बंने कृतिओ अहीं आपवामां आवी छे. आमां नवकारनां फळोनुं महत्त्वपूर्ण वर्णन छे, * आ. कृतिना कर्ता श्री जिनप्रभसूरि हता, एवो उल्लेख आमां ज....मळे छे. आ श्री जिनप्रभसूरिए अनेक कृतिओ रचेली छे, तेओ 13 मी 14 मी शताब्दीना वचला गाळामां थया हता।